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लखनऊ : लखनऊ की गाजीपुर पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का खुलासा किया है जो बेशकीमती धातु कैलिफोर्नियम बेचने के लिए सौदा कर रहा था। पुलिस ने आठ आरोपियों के पास से 340 ग्राम कैलिफोर्नियम बरामद किया। पुलिस का दावा है कि अंतरराष्ट्रीय मार्केट में यह धातु 27 लाख डॉलर (करीब 19 करोड़ रुपये) प्रतिग्राम की दर से बिकता है। इस हिसाब से 340 ग्राम कैलिफोर्नियम की कीमत करीब 6460 करोड़ रुपये है। गिरोह में यूपी, बिहार और पं. बंगाल के जालसाज शामिल हैं। पुलिस ने धातु की प्रामाणिकता की जांच के लिए नमूना आईआईटी कानपुर भेजा है।
प्रभारी निरीक्षक गाजीपुर प्रशांत मिश्रा के मुताबिक गुरुवार देर रात पॉलीटेक्निक चौराहे पर वाहन चेकिंग के दौरान आरोपियों को दबोचा। इनमें एलडीए कालोनी आशियाना का अभिषेक चक्रवर्ती, हनुमान नगर नेवादा बिहार का महेश कुमार, शाहजहांपुर पटना बिहार का रविशंकर, मानसनगर कृष्णानगर का अमित कुमार सिंह, गुलजार नगर बाजारखाला का शीतल गुप्ता उर्फ राज गुप्ता, बस्ती लौकिहवा का हरीश चौधरी, कठौतिया सांवडी बस्ती का रमेश तिवारी और बेलवाडाड़ी गांधीनगर बस्ती श्याम सुंदर शामिल है। अभिषेक मूलरुप से पं. बंगाल का रहने वाला है। पुलिस ने आरोपियों के पास से 10 हजार रुपये नकद, एक कार, एक बाइक और एक स्कूटी बरामद की है। दबोचने वाली टीम में चौकी प्रभारी पॉलीटेक्निक कमलेश राय, शिवमंगल सिंह, हेड कांस्टेबल ऋषि तिवारी रहे। पुलिस के मुताबिक गिरोह के अभी कई और सदस्य हैं, जिनकी कुंडली खंगाली जा रही है।
बिहार व बंगाल तक फैला है नेटवर्क
चौकी प्रभारी पॉलीटेक्निक कमलेश राय के मुताबिक गिरोह यूपी के कई जिलों के साथ बिहार व पं. बंगाल में भी सक्रिय है। गिरोह सोशल मीडिया के जरिए एक दूसरे से जुड़ा रहता है। इसी के जरिए ही कैलिफोर्नियम धातु को बेचने का प्रयास किया था, जिसमें बंगाल के अभिषेक चक्रवर्ती की महत्वपूर्ण भूमिका थी। सौदा शशिलेश राय नाम के व्यक्ति से हुआ था, जिससे 1.20 लाख रुपये एडवांस लिया गया था। हालांकि उसे धातु नहीं बेची। बाद में दूसरे व्यक्ति से सौदा किया, जिससे एडवांस लेना था। सौदा पक्का करने व एडवांस की रकम हासिल करने के लिए ही गिरोह के आठों सदस्य लखनऊ में जुटे थे।
सभी आरोपियों के मोबाइल डिटेल खंगाली जा रही
पुलिस ने सभी आरोपियों से बरामद मोबाइल फोन की कॉल डिटेल खंगाली तो कुछ संदिग्ध नंबर मिले हैं। ये नंबर बंद आ रहे हैं। पुलिस सभी आरोपियों का सोशल मीडिया प्लेटफार्म खंगाल रही है। कुछ लोगों के मोबाइल नंबर को भी सर्विलांस पर लगा दिया है, ताकि उनके जरिए अन्य सदस्यों तक पहुंच सके।
कानपुर आईआईटी में होगी जांच
प्रभारी निरीक्षक प्रशांत मिश्रा के मुताबिक लखनऊ के बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पालियोसाइंसेज के वैज्ञानिकों ने प्रथमदृष्टया इस धातु के कैलिफोर्नियम होने की पुष्टि की है, लेकिन प्रामाणिकता के लिए आईआईटी कानपुर में नमूना भेजने को कहा है। पुलिस के अनुसार एक-दो दिन में नमूना भेजा जाएगा। उसकी रिपोर्ट आने के बाद आरोपियों के खिलाफ धाराओं में बढ़ोतरी की जाएगी।
लैंड माइंस का पता लगाने व कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होता है कैलिफोर्नियम
कैलिफोर्नियम एक रेडियोऐक्टिव पदार्थ है। इसकी खोज 1950 में कैलिफोर्निया में किया गया था। इसका प्रयोग विस्फोटक और लैंड माइंस का पता लगाने के लिए किया जाता है। कैंसर के इलाज में भी उपयोग किया जाता है।