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वाराणसी : वाराणसी के छह कस्तूरबा विद्यालय के प्रधानाध्यापकों ने बिना छात्राओं की उपस्थिति के भोजन, मेडिकल केयर और शिक्षण सामग्री के मद में 37 लाख रुपये का भुगतान दिखा। शासन के पास मामला पहुंचने पर जिलों के बीएसए से जवाब तलब किया गया है। महानिदेशक बेसिक शिक्षा ने अधिकारियों से 8 बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी है। बीएसए राकेश सिंह ने वित्तीय अनियमितता मानकर छह कस्तूरबा विद्यालयों के वार्डन को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है। साथ ही मामले की जांच के लिए बीईओ सेवापुरी डीपी सिंह की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी भी बनाई है। जो 10 दिन में रिपोर्ट देगी। बता दें कि प्रदेश के 18 जिलों में ऐसा मामला सामने आया है।
कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय के सफल संचालन के लिए राज्य परियोजना द्वारा आधारभूत सुविधाओं, स्टाफ व छात्राओं की उपस्थिति की फोटो जियो टैगिंग के माध्यम से प्रेरणा पोर्टल पर अपलोड करने का निर्देश दिया गया था। पोर्टल पर छात्राओं की प्रतिदिन की उपस्थिति के आधार पर ही धनराशि का भुगतान किया जाता है। वहीं, शिवपुर, सेवापुरी, चोलापुर, चिरईगांव, पिंडरा, आराजी लाइन स्थित कस्तूरबा विद्यालयों में 15 फरवरी से 24 मार्च तक छात्राओं की प्रेरणा पोर्टल पर उपस्थिति शून्य है। बावजूद वार्डन ने बालिकाओं की उपस्थिति अपलोड नहीं की। जबकि पोर्टल पर दर्ज आंकड़ों के हिसाब से भोजन मद में करीब 25 लाख, मेडिकल केयर मद में करीब सात लाख, शिक्षण सामग्री मद में करीब छह लाख रुपयों का भुगतान दर्ज किया गया है।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश सिंह ने बताया कि जिले के कस्तूरबा विद्यालयों के वार्डनों ने छात्राओं की उपस्थिति को लेकर प्रेरणा पोर्टल पर गलत सूचना दी है। यह वित्तीय अनियमितता है। कमेटी गठित कर दी गई है। रिपोर्ट आने के बाद शासन को भेजी जाएगी।
पहले भी जारी हुआ है वार्डन को नोटिस
कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय शिवपुर की वार्डन व शिक्षिका यादवेश कुमारी के खिलाफ बीएसए ने पहले ही नोटिस जारी कर रखा है। वार्डन ने फरवरी व मार्च माह में उपस्थिति, विद्यालय की आधारभूत सुविधा, स्टाफ उपस्थिति की जियो टैगिंग के माध्यम से प्रेरणा पोर्टल पर अपलोड नहीं की है। विभाग ने कई बार उन्हें इसे पूरा करने का निर्देश दिया, लेकिन काम नहीं हुआ।
कई गड़बड़ियां आ चुकी हैं सामने
बेसिक शिक्षा विभाग विभागीय योजनाओं व अन्य लेखाजोखा को पारदर्शी बनाने के लिए डिजिटल प्लेटफार्म को बढ़ावा दे रहा है। वहीं, पोर्टल पर डाटा अपलोड करने के दौरान कई बार गड़बड़ियां सामने आ चुकी हैं। अंतर जनपदीय स्थानांतरण के दौरान भी कई शिक्षकों ने पोर्टल पर गलत सूचना देकर अपना स्थानांतरण करा लिया था और उन जनपदों के बीएसए ने उन्हें सत्यापित भी कर दिया। कार्य मुक्त होकर स्थानांतरित जनपद आने के बाद जब शिक्षकों को ऑनलाइन विद्यालय आवंटित होने लगे तो मामला सामने आया। अंतर जनपदीय स्थानांतरण के दौरान कई शिक्षकों ने ग्रामीण क्षेत्र में कार्यरत होते हुए भी नगर क्षेत्र में कार्यरत दिखाया था। जो कि अनियमितता की श्रेणी में आता है। ऐसे शिक्षकों का स्थानांतरण बाद में रद्द कर दिया गया था।