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गोरखपुर खजनी डी के यू हिंदी दैनिक रवि कुमार | लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी एक्टिव हो गई है. इस बीच सपा ने एक कैंपेन ने हिंदुत्व की पिच पर नया दांव रखा है. समाजवादी पार्टी के ट्विटर हेंडल और फेसबुक पेज पर कैंपेन सॉन्ग जारी किया गया है. इस गाने में सपा प्रमुख अखिलेश यादव को मुरलीधर कृष्ण बताया गया है.
समाजवादी पार्टी की ओर से जारी वीडियो के बोल हैं- मुरलीधारी कृष्ण बदलकर वेश आ रहे हैं, अखिलेश आ रहे हैं, अखिलेश आ रहे हैं. इस गाने को फेसबुक और ट्वीटर पर समाजवादी पार्टी के आधिकारिक पेज से साझा किया गया है. इस गाने को सपा नेता राजकुमार भाटी ने लिखा है. अखिलेश सरकार के कामकाज को गिना रहा सॉन्ग
वैसे तो कैंपेन सॉन्ग पिछली अखिलेश सरकार के 5 साल के कामकाज को गिना रहा है, लेकिन कृष्ण को लेकर कही गई लाइनों का सीधा सा मतलब ये निकाला जा रहा है कि कहीं ना कहीं, राम पर राजनीति के बीच कृष्ण पर राजनीति को आजमाने की कोशिश हो रही है. इस वीडियो में अखिलेश सरकार की द्वारा शुरू की गई योजनाओं की भी झलक दिखाने के साथ जनता से लुभावने वादे किए गए हैं. यही नहीं, यह भी बताया गया है कि समाजवादी सरकार के आने से शिक्षा, किसान और अन्य सुविधाओं की स्थिति बेहतर हो जाएगी.पिछले चुनाव में दिया था ‘काम बोलता है’ का नारा
पिछले चुनाव में समाजवादी पार्टी ने अखिलेश के कार्यकाल के दौरान हुए विकास कार्यों की बदौलत ‘काम बोलता है’ का नारा दिया था. लेकिन, वोटरों ने अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी की जोड़ी को नकार दिया था.छोटे दलों को गले लगाने के मूड़ में सपा अध्यक्ष
वर्ष 2014 से पिछले तीन बड़े चुनावों में करारी हार झेल चुकी समाजवादी पार्टी (सपा) उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले छोटे दलों से तालमेल के अलावा बड़े दलों के बागी नेताओं पर नजर बनाए हुए है. साल 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव के अलावा 2017 में विधानसभा चुनाव में हार का सामना करने के बाद सपा नेतृत्व का बड़े दलों से तालमेल को लेकर मोहभंग हो चुका है.सपा अध्यक्ष इस बार किसी बड़े दल को साथ लेने के बजाय छोटे दलों को गले लगाने के मूड में है वहीं उनकी नजर बसपा और कांग्रेस जैसे बड़े दलों के अंसतुष्ट नेताओं पर है जिनकी मदद से वह चुनावी वैतरिणी पार लगाना चाहते है.उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में तकरीबन 8 महीने ही बाकी हैं. सत्ताधारी भाजपा समेत मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी भी इसके लिए कमर कसने लगी है. जहां तक बहुजन समाज पार्टी का सवाल है तो उसके अंदर ही ऐसा घमासान मचा है कि उसके थमने के बाद ही हाथी किस करवट लेकर उठेगा इसका अंदाजा लग पाएगा.