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22 अक्टूबर – श्रीरामचरितमानस की भाव सहित चौपाई
नमो राघवाय 🙏
मसकहि करइ बिरंचि प्रभु,
अजहि मसक ते हीन ।
अस बिचारि तजि संसय
रामहि भजहिं प्रबीन ।।
( उत्तरकांड, दो. 122)
राम राम 🙏🙏
गरूड़ महराज को उनके सातों प्रश्नों का उत्तर देने के बाद काकभुसुंडि जी कहते हैं कि भगवान मच्छर को ब्रह्मा बना सकते हैं और ब्रह्मा को मच्छर से भी तुच्छ बना सकते हैं । ऐसा विचार कर चतुर पुरूष सब संदेह त्याग कर राम जी को भजते हैं ।
राम जी कुछ भी कर सकते हैं । हमारा ही विश्वास उन पर नहीं है । हम संदेह करते हैं , संसय में रहते हैं । संसय छोड़ उनका भजन करके देखें, आपके जीवन में कैसा अकल्पनीय बदलाव राम जी ला देंगे , आप चकित रह जाएँगे । अतएव भजें, संसय छोड़ भजें । अथ ! चतुर मन सरल बन , सरल बन राम भज 🚩🚩🚩
संकलन तरूण जी लखनऊ