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अयोध्या(संवाददाता) सुरेंद्र कुमार। अयोध्या राममंदिर निर्माण समिति की दो दिवसीय बैठक में रामभक्तों के लिए खुशखबरी है। अब तय समय से एक साल पहले वर्ष 2023 में ही भव्य राममंदिर में रामलला के दर्शन सुलभ हो जाएंगे।
इसी के साथ तय हुआ है कि राममंदिर का परिसर इको फ्रेंडली होगा। यहां त्रेतायुग के मनमोहक दृश्यों के साथ भक्तों के लिए आधुनिक सुख-सुविधाओं पर पूरा फोकस रहेगा। संपूर्ण परिसर 2025 तक समाप्त हो जाएगा। राममंदिर निर्माण समिति की बैठक गुरुवार को समाप्त हो गई। नृपेंद्र मिश्र की अध्यक्षता में दो दिनी बैठक में संपूर्ण श्रीराम जन्मभूमि परिसर का मास्टर प्लान तैयार करने के साथ-साथ मंदिर की भव्यता व सुरक्षा पर गहन मंथन किया गया। पहले राममंदिर 2024 तक बनाने का लक्ष्य था लेकिन इसे अब घटाकर 2023 कर दिया गया है। 2023 के बाद भक्त मंदिर के गर्भगृह में दर्शन-पूजन कर सकेंगे। 2025 तक संपूर्ण परिसर सभी सुविधाओं से लैस हो जाएगा।
बैठक समाप्त होने के बाद ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने पत्रकारों को बताया कि राममंदिर की भव्यता व उसकी सुरक्षा को लेकर मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने तकनीकी विशेषज्ञों से गहन मंथन किया है।राममंदिर परिसर इकोफ्रेंडली होगा इसमें भक्तों को आधुनिक सुविधाएं मिलेंगी। सीवेज ट्रीटमेंट, वाटर ट्रीटमेंट, पेड़ों का संरक्षण होगा, ताकि अंदर का तापमान प्राकृतिक रूप से ठीक रहे। परकोटा के बाहर संपूर्ण परिसर का मास्टर प्लान तैयार कर लिया गया है। इसमें तीर्थयात्री सुविधा केंद्र, संग्रहालय, अभिलेखागार, अनुसंधान केंद्र, सभागार, गौशाला, यज्ञशाला, प्रशासनिक भवन आदि शामिल हैं।
स्थानीय साधु-संतों के सुझाव भी मास्टर प्लान में शामिल किए जाएंगे। बैठक में ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरि वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए, ट्रस्टी बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र, डॉ.अनिल मिश्र के अलावा सोमपुरा कंस्ट्रक्टशन से आशीष सोमपुरा, टीसीई, एलएंडटी, डिजाइन एसोसिएट्स के अधिकारी उपस्थित रहे।
राममंदिर प्राकृतिक दृष्टि से सुरक्षित रहे इसको लेकर तकनीकी विशेषज्ञों के साथ गहन मंथन किया गया है। चंपत राय ने बताया कि पानी का प्रवाह, पानी से रक्षा, बालू के रिसाव को रोकने के लिए तीन दिशा में रिटेनिंग वॉल बनेगी।
जिसे जमीन के अंदर 12 मीटर गहराई तक ले जाएंगे। उन्होंने बताया कि मंदिर में जितनी चौखट लगेंगी वो मकराना के उच्च कवालिटी के सफेद संगमरमर से बनेगी। खिड़कियों में वंशी पहाड़पुर का सैंडस्टोन का इस्तेमाल होगा।
मीडिया कर्मियों को भी मंदिर निर्माण कार्य से रू-ब-रू कराने की तैयारी है। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमिपूजन किया था। इस बार पांच अगस्त को हम मीडिया कर्मियों को राममंदिर निर्माण कार्य दिखाएंगे। सुरक्षा के लिए आवश्यक चेकिंग के बाद इसकी अनुमति होगी। इस प्रस्ताव पर इंजीनियरों ने सहमति दे दी है।विदेशी चंदा वापस किए जाने के सवाल पर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि नियम के तहत हम तीन साल तक एफसीआरए के लिए अप्लाई ही नहीं कर सकते। इसके लिए कम से कम तीन आडिट रिपोर्ट चाहिए।
जो अभी हमारे पास नहीं है।