कविता : नहीं समझता कोई मुझको

कवि हरीश शर्मा लक्ष्मणगढ़ – (सीकर) राजस्थान देश की उपासना नहीं समझता कोई मुझको कविता अपनी-अपनी धुन में रहती, अपनी कहे कहानी। कहां किसी की…

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