एक काव्य रचना

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सूर्योदय
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सूर्योदय हुआ
पुनः जीवन जीवंत हुआ
आओ, उठो
आलस्य त्यागो
जागो, जागो
चलो, चलो
सूर्य के किरणो संग
प्रतिदिन हो
एक नई उमंग
चाहे जितना हो कठिन पथ
रहो निडर, रहो निडर
हे मानव,
तू है विलक्षण
लक्ष्य पर रख
अपनी नज़र
तू है पराक्रमी
तू है शक्तिशाली

पग के छालो की
तू परवाह न कर
हिमालय से भी ऊंचा रख
तू अपना मनोबल
बढ़ता जा, बढ़ता जा
चलता जा, चलता जा
सूर्य के किरणों संग
सूर्य के किरणों संग!
कवि सूफ़ी गोंडवी
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