यूपी डोली उठने से पहले घर से उठी पिता की अर्थी, लाडली ने दी मुखाग्नि तो रो पड़े लोग, बोले- ‘बेटी अभिशाप नहीं वरदान हैं

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पत्रकार गोरखपुर डी के यू गोला ब्यूरो : बेटा अंश हैं तो बेटी वंश हैं, बेटा आन हैं तो बेटी शान हैं। इस कहावत को संतकबीरनगर जिले के मेंहदावल नगर पंचायत की रहने वाली एक बेटी ने चरितार्थ किया। बेटी ने पिता की मौत के बाद समस्त कर्मकांड का न सिर्फ निर्वहन किया, बल्कि पुरोहित के निर्देशन में पिता की चिता को मुखाग्नि दी। इस दौरान वहां उपस्थित लोगों की आंखें नम हो गईं। हर किसी की जुबां पर यही था कि बेटी अभिशाप नहीं वरदान हैं। सभी लोगों ने बेटी द्वारा निभाए गए इस फर्ज की सराहना की और कहा कि यह उन लोगों के लिए एक मिसाल है जो बेटियों को किसी भी मामले में बेटों से कम समझते हैं।
मेंहदावल कस्बे के सानीकेवटलिया निवासी 58 वर्षीय व्यवसायी अशोक कांदू की दो दिन पहले तबीयत खराब हुई। उसके बाद लोग आनन-फानन चिकित्सक को दिखाए तो पता चला कि आक्सीजन लेवल कम हो रहा है और सांस लेने में दिक्कत है। 108 एंबुलेंस से उन्हें तत्काल जिला अस्पताल ले जाया गया।
जिला चिकित्सालय में इलाज के दौरान रविवार की रात उनकी मौत हो गई। सोमवार को शव घर पर पहुंचते ही कोहराम मच गया।
परिजनों के साथ ही पड़ोसियों की आंखे भी नम हो गईं। सबसे मार्मिक दृष्य तब लोगों के सामने आया जब मृतक व्यवसायी की इकलौती पुत्री 19 वर्षीय दीक्षा कांदू पिता की चिता को मुखाग्नि देने के लिए तैयार हुई।
क्षेत्र के पंडितपुरवा में स्थित नगर पंचायत के जरिए निर्मित मुक्तिधाम पर पुत्री ने कर्मकांड के नियमों का पालन करते हुए पुरोहित के साथ बैठकर पिंडदान किया। उसके बाद बेटी ने पिता को मुखाग्नि दी। यह देख वहां मौजूद लोगों की आंखें नम हो गईं। हर कोई व्यवसायी की मौत पर स्तब्ध था। परिवार के प्रति सबकी संवेदना थी। वहीं लोग इस दुख की घड़ी में बेटी के हिम्मत व मुखाग्नि देने को लेकर यही कह रहे थे कि बेटियां किसी से कम नहीं।
बेटी का हाथ पीला करने का अरमान रह गया अधूरा
मेंहदावल नगर पंचायत के सानीकेवटलिया निवासी 58 वर्षीय व्यवसायी अशोक कांदू की अचानक मौत हो जाने की खबर से हर कोई स्तब्ध रह गया। परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल था। 19 वर्षीय बेटी दीक्षा का पालन पोषण व्यवसायी ने बहुत ही अच्छे परिवेश में किया था। कभी भी बेटी के रहते बेटा न होने का गम उन्हें नहीं रहा। व्यवसायी को बेटी की शादी धूमधाम से करने का अरमान हमेशा से था। लेकिन उनका यह अरमान पूरा नहीं हो सका। इस बात की चर्चा हर किसी की जुबां पर थी।

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