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प्रयागराज। ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या छह हो गई है। एलथ्री एसआरएन अस्पताल के कोविड वार्ड में भर्ती दो संक्रमितों की हालत स्थिर है। वहीं शुक्रवार को टैगार टाउन स्थित एक निजी अस्पताल में ब्लैक फंगस पीड़ित दो संदिग्ध चिह्नित किए गए। इन पोस्ट कोविड मरीजों को एमआरआई और फंगस की जांच कराने की सलाह दी गई है। संदिग्धों में एक मरीज पीजीआई रेफर किया गया था।
जिले में चार दिन पहले ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) का एक संक्रमित चिह्नित किया गया। एसआरएन के कोविड वार्ड में भर्ती मरीजों की हालत डॉक्टर स्थिर बता रहे हैं। वहीं पोस्ट कोविड वार्ड में भर्ती मरीज के फंगस की जांच कराई जा रही है। मेडिकल कॉलेज के आंख, ईएंडटी, मेडिसिन, सर्जरी विभाग के विशेषज्ञों की टीम ब्लैक फंगस संक्रमितों और संदिग्ध रोगियों की केस हिस्ट्री और सेहत की निगरानी कर रही है।
बृहस्पतिवार को ईएंडटी विभाग को रेफर संदिग्ध मरीज लौटकर नहीं आया। लखनऊ गए मरीज की देखरेख एसजीपीजीआई के विशेषज्ञ कर रहे हैं। शुक्रवार को टैगौर टाउन स्थित एक निजी अस्पताल में दो मरीजों के ब्लैक फंगस से पीड़ित होने की आशंका जताई गई। संदिग्धों को एमआरआई, नजल इडोस्कोपी और फंगल जांच कराने की सलाह दी गई है। एसआरएन के सह प्रभारी कोविड वार्ड डॉ सुजीत वर्मा के मुताबिक अस्पताल में एक मरीज कोविड तथा दूसरा पोस्ट कोविड वार्ड में भर्ती हैं। संक्रमणमुक्त हुए लोग घबराएं नहीं, सिर्फ मधुमेह पीड़ित सावधानी बरतें, परेशानी से बचे रहेंगे।
मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के ईएंडटी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राम सिया सिंह का कहना है कि पोस्ट कोविड मधुमेह पीड़ित लोग लक्षणों पर ध्यान दें। फंगस दिखे तो बीटाडिन या डेटॉल से सफाई करें। नाक से काले रंग का पानी आए तो चिकित्सक की सलाह लें। प्रारंभिक स्तर पर फंगस का इलाज आसान है, लेकिन लापरवाही करने से दिक्कत बढ़ सकती है। उन्होंने बताया कि ब्लैक फंगस से घबराने की जरूरत नहीं है। शुगर कंट्रोल करें, ब्लैक फंगस पास नहीं फटकेगा।
ईएंडटी विशेषज्ञ डॉ. शशांक ओझा के मुताबिक कोरोना काल में ओपीडी तो बंद है पर ऑनलाइन परामर्श लेने वालों में ब्लैक फंगस का खौफ है। कोरोना संक्रमण से मुक्त हो चुके ऐसे मरीज परेशान हैं, जिन्हें डायबिटीज है। उन्होंने बताया कि ब्लैक फंगस के संदिग्ध मरीजों को सफाई का ध्यान रखने और कुछ जरूरी जांचें कराने की सलाह दी जा रही है। डॉ. शंशाक ने बताया कि ब्लैक फंगस संक्रमण के गंभीर मामलों में फंग्शनल इंडोस्कोपी साइनल सर्जरी, कभी-कभी जबड़े की बड़ी सर्जरी या आंखों का ऑपरेशन करना जरूरी हो जाता है। ब्लैक फंगस के प्राथमिक स्तर के संक्रमण दवाओं से दूर हो जाते हैं। मधुमेह पीडितों ने लापरवाही की तो दिक्कत हो सकती है। उन्होंने सलाह दी है कि ब्लैक फंगस संक्रमण से भयभीत न हों। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं, तनावमुक्त रहें, ताजा सुपाच्य भोजन करें, खूप पानी पीएं। ब्लैक फंगस से ही नहीं कोरोना संक्रमण और अन्य बीमारियों से भी बचे रहेंगे।