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हरदोई। शिव सत्संग मण्डल के आध्यात्मिक प्रचारक महात्मा विनोद मिश्र ने कहा कि जीवन का उद्देश्य जनम व मृत्यु के बन्धन से मुक्त होना है जिसे ‘मोक्ष’ कहते है।
वह मंडल द्वारा कामेपुर के सत्संगीजनों द्वारा आयोजित वर्चुअल “धर्मोत्सव” कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।उन्होंने बताया कि मोक्ष सद्कर्मों यथा ईश्वरोपासना, सत्कर्तव्यों का पालन, आचरण करने माता-पिता-आचार्यों-अतिथियों व ऋषि-मुनि-विद्वान् संन्यासियों की सेवा व सतकार, दान, परोपकार, सेवा, अहंकार शून्य स्वभाव, दया व करूणा से पूर्ण जीवन व्यतीत करने आदि कर्मों को करने से प्राप्त होता है। हम वेद व वैदिक ग्रन्थों के स्वाध्याय व तदनुसार तर्क व प्रमाण युक्त ईश्वरोपासना करने का व्रत लें जिससे हम सभी जीवन के लक्ष्य को प्राप्त कर सकें।
लखनऊ मंडल अध्यक्ष राजेश पांडेय ने कहा कि संतो ने मूल्यनिष्ठ समाज की स्थापना करने के लिए व्यवस्थित जीवन शैली,और ज्ञान ध्यान का संदेश दिया।
योग,दर्शन विशेषज्ञ डॉ संदीप कुमार चौरसिया ने कहा कि विचारकों,संतों,महापुरुषों की परंपरा का आधार भारतीय संस्कृति ही है।शिव सत्संग मण्डल ने ध्यान, प्रार्थना,जप एवं सत्संग परंपरा का समाज में एक आदर्श स्थापित किया।
प्रचारक रविलाल ने अंधविश्वास के चक्रव्यूह से बाहर निकलने के लिए वैदिक मार्ग पर चलने का आह्वान किया।शिक्षक प्रेम कुमार ने सत्संग की महिमा,व्यवस्थापक यमुना प्रसाद ने शिव नाम की महिमा,रामौतार ने दान व सेवा का महत्व बताया। संयोजक अम्बरीष कुमार सक्सेना के संचालन में हुए धर्मोत्सव में बहिन देवकी,नेहा,भैया लाल,सत्यम सक्सेना,एवं महात्मा रवीन्द्र ने प्रेरणादायी गीत और भजन सुनाए।समापन पर मंडल अध्यक्ष आचार्य अशोक ने कहा कि प्रकाश स्वरूप से परमेश्वर के ध्यान के कारण शरीर की आतंरिक क्रियाओं में विशेष परिवर्तन होते हैं और शरीर की प्रत्येक कोशिका प्राणतत्व (ऊर्जा) से भर जाती है। शरीर में प्राणतत्व के बढ़ने से प्रसन्नता, शांति और उत्साह का संचार भी बढ़ जाता है।
धर्मोत्सव का शुभारंभ शिक्षक राम किशोर ने दीप प्रज्वलित कर,महात्मा रवीन्द्र ने सामूहिक ईश प्रार्थना से किया।
इस अवसर पर राजपाल,हंसराम,धर्मपाल,नरवीर, अजय पाल सिंह,इंजीनियर आलोक मोहन,सारिका,नीलू पांडेय,राधेश्याम चौरसिया,रजनीश सक्सेना, प्रोफेसर डॉ रेनू,शिव प्रसाद,प्राध्यापक सुधीर कुमार चौरसिया,सुशील कुमार समेत अनेक सत्संगी भाई बहनों ने सहभागिता की।