विधायक नीरज वोरा के नेतृत्व में लखनऊ व्यापार मंडल के अध्यक्ष अमरनाथ मिश्रा ने मुख्यमंत्री को दिया ज्ञापन

Getting your Trinity Audio player ready...

विधायक नीरज वोरा के नेतृत्व में लखनऊ व्यापार मंडल के अध्यक्ष अमरनाथ मिश्रा ने मुख्यमंत्री
को दिया ज्ञापन

ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय

लखनऊ। लखनऊ व्यापार मंडल के अध्यक्ष अमरनाथ मिश्रा ने कहा कि विभिन्न व्यवसाय पर आ रही समस्याओं पर आपका ध्यान आकर्षित करने के सम्बन्ध में अपना ज्ञापन आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं-
जीएसटी विभाग से संबंधित समस्या
ई-वेबिल में त्रुटि होने पर कई बार व्यापारियों को ई-वेबिल कैन्सिल कर दूसरा ई-वेबिल बनाना पड़ता है जिसके विभिन्न कारण है।
1. त्रुटिवस दूसरा ई-वेबिल बनाना
(अ) त्रुटि बिल की हो सकती है
(ब) त्रुटि ई-वेबिल में हो सकती है।
2. ट्रान्सपोर्ट द्वारा पहले दी गयी गाड़ी नम्बर की किसी कारणवस दूसरी गाड़ी नम्बर देने पर या गाड़ी खराब होने की दशा में।
3. व्यापारी द्वारा बिल बनाने के बाद क्रेता व्यापारी द्वारा और माल खरीद कर एक ही बिल बनाने की मांग करने पर।
4. बिल एवं ई-वेबिल बनने के बाद क्रेता व्यापारी द्वारा आर्डर कैन्सिल करने की दशा में।
ऐसे में बिक्रेता फर्म तत्काल पहला ई-वेबिल कैन्सिल कर दूसरा ई-वेबिल बनाता है, जब बिल या ई-वेबिल की त्रुटि एवं गाड़ी खराब होने पर बिल सेम रहता हैं
दूसरा जब बिल कैन्सिल किया जाता है तो उसके सापेक्ष में बिल एवं ई-वेबिल दूसरा बनाया जाता है।
देखने में आया है कि अधिकारियों द्वारा पोर्टल पर सिर्फ ई-वेबिल कैन्सिल की सूची देखकर नोटिस जारी किये जा रहे है।
जबकि आॅनलाइन सिस्टम होने पर जीएसटी पोर्टल पर देखा जा सकता है बिल एवं ई-वेबिल के सापेक्ष में कौन सा बिल कितनी देर में बनाया गया है फिर भी अधिकारी द्वारा नोटिस जारी करना उचित नहीं है, क्योकि व्यापारी के हर कार्य को सन्देहात्मक मानते हुए नोटिस देकर व्यापारी को परेशान करने हेतु कार्य कर रहे अधिकारी सरकार एवं व्यापारियों में अविश्वास की भावना उत्पन्न कर रहें है।
इधर आज कल यह देखने में आ रहा है कि विभाग के अधिकारियों के द्वारा फैक्ट्री मालिको के गेट एवं फैक्ट्री पर लगे हुए सीसीटीवी कैमरे के एक्सेस को मांग रहे है जोकि अनुचित ह,ै न कोई लिखा पढ़ी मे ंदेने को तैयार है, न ही कोई आदेश दिखाने को तैयार है। मनमाने ठंग से व्यापारी का उत्पीड़न कर रहें है जोकि अनुचित है, एवं व्यापारी की निजता एवं सुरक्षा का उलंघन है, जबकि फैक्ट्री के बाहर राज्यकर की गाड़ियाॅ 24घंटे निगरानी कर रहीं है तो फिर यह नाजायज मांग क्यों।
5. वर्ष 2017 में जीएसटी लागू हुई थी, राज्य में अभी राज्यकर के ट्रिब्यूनल का गठन भी नहीं हो पाया है जिससे छोटे-छोटे व्यापारियों को हाईकोर्ट का रूख करना पड़ेगा, ऐसे में ट्रिब्यूनल का गठन किया जाय ताकि छोटे-छोटे व्यापारी ट्रिब्यूनल में अपने अपील को दाखिल कर निस्तारित कर सकेंगे।
6. अधिकारियों के द्वारा मौखिक आदेश देकर शत-प्रतिशत स्कुटनी के आदेश दिये गये है जोकि न्यायोचित नहीं है जीएसटी अधिनियम में 25प्रतिशत स्कुटनी उन्हीं लोगों की होती है जिनको कम्प्यूटर साफ्टवेयर अपने आप चिन्हित करता है।
7. 50हजार के ऊपर माल परिवहन करने पर ई-वेबिल जनरेट करना पड़ता है जिसमें विक्रेता द्वारा पार्ट ए जनरेट किया जाता है और पार्ट बी ट्रान्सपोर्टर के द्वारा जनरेट किया जाना चाहिए।
8. तमाम अपंजीकृत ट्रान्सपोर्टर माल का परिवहन कर रहें है। जबकि सभी ट्रान्सपोर्टर 20 लाख से ज्यादा की सेवा प्राप्त करते है ऐसे में सभी ट्रान्सपोर्टरों का पंजीयन अनिवार्य किया जाय। जब ट्रान्सपोर्ट पंजीकृत होगा तो बी पार्ट जनरेट की जिम्मेदारी ट्रान्सपोर्ट की होगी ,न जनरेट करने पर कर देयता भी बनेगी।
9. ट्रान्सपोर्ट भाड़े पर आर.सी.एम क्रेता व्यापारी द्वारा जमा कर उस टैक्स का के्रडिट इनपुट स्वयं लेता है जिससे लेखा बहियों में दोहरी इन्ट्री करनी पड़ती है और सरकार को इससे कोई फायदा नहीं होता है।
सुझाव – पंजीकृत ट्रन्सपोर्टर के द्वारा यह टैक्स जमा किया जाय और उसका के्रडिट इनपुट के्रता व्यापारी मिल जाय जैसे गुड़स में होता है इससे फर्जी तरीके से ढो रहे माल को ट्रान्सपोर्टर पर नकेल लगेगी और जीएसटी की फर्जी बिलिंग पर रोक लगायी जा सकेगी, इससे सरकार की कर चोरी पर भी रोका लगेगी।
इसमें कोई कानून का बदलाव करने की जरूरत नहीं है पहले से ही जीएसटी एक्ट में प्राविधानिक है केवल जीएसटी काॅउसिंल के द्वारा उसे सस्पेंड कर रखा है।
मण्डी परिषद
1. अन्य प्रान्तों की भांति उत्तर प्रदेश में भी मण्डी गेट पास समाप्त किया जाय। जब हम आपके पोर्टल पर विक्रीकृत माल पर 9आर जनरेट कर रहे हैं तो फिर गेट पास की आवश्यकता क्यों?
2. मंडी विभाग में आॅनलाइन व्यवस्था लागू होने के बाद व्यापारियों को कई जींस पर एक ही व्यापारी को एक साथ बेंचने पर अलग-अलग जींस का 9आर काटना पड़ता है। कृपया पोर्टल पर मल्टीबिल जींसों की 9आर काटने की व्यवस्था लागू हो।
3. जबसे मंडी अधिनियम लागू हुआ है 9कुन्तल,99 किलो से अधिक माल परिवहन एक मंडी क्षेत्र से दूसरे मंडी क्षेत्र में करने पर गेट पास बनवाना अनिवार्य है। अतः इस सीमा को बढ़ाकर 25 कुन्तल किया जाय।
4. यदि एक ही व्यापारी को बहुजिंस की बिक्री की जाती है तो उसके अन्तर्गत एक ही बिक्री बिल पर व्यापारी को अलग-अलग जिंस हेतु उतने ही 9आर प्रपत्र जारी करने पड़ते हैं।
उदाहरण – राम किराना स्टोर द्वारा अरहर दाल, उरद दाल, मूंग दाल, चावल, हल्दी, मिर्चा, धनियां खरीदने पर 7, 9आर प्रपत्र जारी करने पड़ते हैं।
सुझाव – जीएसटी के ई-वेबिल की तरह एक ही 9आर में समान बहुजिंस जारी करने की व्यवस्था मंडी पोर्टल पर प्रदान की जाय।
5. थोक मसाला व्यापार में व्यापारी को 9आर प्रपत्र द्वारा परिवहन की सीमा 25 किलो से 100 किलो तक निर्धारित है। जबकि व्यवहारिक व्यवस्था में यह एक बोरा या उससे भी कम हो जाता है।
उदाहरण- एक व्यापारी यदि 10 बोरा हल्दी तथा 10 बोरा दाल, (5 कुन्तल) खरीदता है तो 5कुन्तल दलहन में उसे 9आर प्रपत्र लेना होता है। जबकि हल्दी के व्यापारी को 9आर प्रपत्र के साथ गेट पास भी जारी करना पड़ता है, जबकि दोनों व्यापार का व्यवहारिक स्वरूप एक ही है।
सुझाव-चूंकि किराना तथा मसाला जिंसों में भी स्टाॅक लिमिट को दलहन के समान 9आर से परिवहन के समय 9कुन्तल, 99 किलो तक किया जाय।
6. मंडी पंजीकरण हेतु व्यापारी को अभी भी विभिन्न प्रपत्र आॅफलाइन देने पड़ते हैं, जबकि पूरी व्यवस्था आॅनलाइन हो चुकी है।
नगर निगम से सम्बन्धित

1. जीआईएस सर्वे के मनमाने ठंग एवं त्रुटिपूर्ण कर निर्धारण कर वर्ष 2022 में जीआईएस सर्वे के अनुसार टैक्स बढ़ा दिये गये है गलत बने बिल को सही कर उपभोक्ता के घर पर दिया जाय ताकि वह अपना सही बिल जमा कर राज्य हित में अपनी हिस्सेदारी निभा सके।
2. सभी बाजारों की साफ-सफाई बाजार खुलने के हिसाब से कराई जाए.
3. लखनऊ इम्प्रूवमेन्ट द्वारा लीज पर दिये गये तमाम औद्योगिक एवं आवासीय स्थानों की लीज समाप्त हो चुकी है, उसका मूल्य निर्धारित कर जल्द से जल्द फ्री होल्ड की व्यवस्था की जाय ताकि सरकार को राजस्व प्राप्त हो सके।
शहर में गुरूनानक मार्केट, मोहन मार्केट, तालकटोरा रोड भोपाल हाउस मार्केट में बंटवारे के बाद आए हुए विस्थापितों को बसाया गया था। स्वतंत्रता के 76 वर्ष बाद भी किरायेदार है और सरकार को जितना किराया मिलता है उससे ज्यादा सरकार का वसूली पर खर्च हो जाता है। सर्किल रेट पर अध्यासियों को रजिस्ट्री कराकर दी जाये इससे सरकार को राजस्व की प्राप्ति होगी एवं नगर निगम व जल निगम को कर की प्राप्ति होगी।
ट्रांसपोर्ट एवं लीज से संबंधित
अतिक्रमण व जाम से संबंधित
लखनऊ शहर में तमाम बड़ी बाजारें अतिक्रमण एवं जाम से जूझ रही हैं।
जैसे- अमीनाबाद, चैक, भूतनाथ मार्केट, पत्रकारपुरम्, महानगर, आलमबाग, ठाकुरगंज, कपूरथला, डालीगंज लगभग सभी बाजारों में समस्याओं के दो कारण हैं-
1. वेन्डिंग जोन न होने के कारण रेहड़ी एवं ठेले वाले अपने जीविकोपार्जन हेतु बाजारों में रहते है।
2. शहर के किसी भी बाजार में छोटे एवं बड़े वाहनों के पार्किंग की व्यवस्था नहीं है, वेंडिंग जोन बनाने में भी स्थान की उपयोगिता नहीं हो रही है, इस कारण शहर में तमाम जगहों पर जीविकोपार्जन के लिए तमाम लोग सब्जी , खुमचा एवं ठेला लगा लेते हैं।
सुझाव- वेंडिंग जोन तत्काल चिन्ह्ति किये जाय।
उदाहरण के लिए कैसरबाग में सब्जी मंडी वर्षों पहले खाली कराकर पार्किंग बनाने का प्रस्ताव बना था, जगह खाली कराई गयी, पर पार्किंग आज तक न बनी।
इसी तरह पत्रकारपुरम् पार्किंग की जगह पड़ी है, चैक में लोहिया पार्क के सामने फल विक्रेता स्टाॅल बना है, जिसे पूर्वमंत्री स्व0 लालजी टण्डन जी के द्वारा बनवाया गया था।
सुझाव हर जगह स्थान चिन्ह्ति हैं –
उदाहरण के लिए, भूतनाथ पार्किंग स्थल, पत्रकारपुरम् पार्किंग स्थल, कैसरबाग पार्किंग स्थल, नक्खास मार्केट पार्किंग स्थल, (तुलसी काम्प्लेक्स) इन सब जगहों पर इतनी जगह है कि मल्टीलेवेल पार्किंग एवं स्ट्रीट वेण्डर्स के लिए हाट बाजार की व्यवस्था की जा सकती है, जिससे सरकार को आमदनी भी होगी।
जल निगम फायर विभाग की समस्या

1.पूर्व में बने फायर हाइड्रेंट पॉइंट को पुनः जीवित किए जाएं हर बाजार में नए फायर हाइड्रेंट पॉइंट बनाए जाएं.
2. घनी बाजारों में जहां हाइड्रेंट पॉइंट नहीं है वहां पर बोरिंग करा कर समुचित जल की व्यवस्था की जाए ताकि दुर्घटना होने पर फायर की गाड़ी को बाजार में ही समुचित पानी मिल सके जिससे जल्द से जल्द आग पर काबू पाया जा सके.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *