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राष्ट्रीय बौद्ध महासभा के संयोजन में राष्ट्रीय धम्म संसद सम्पन्न
ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय
आगरा। राष्ट्रीय बौद्ध महासभा के द्वारा बौद्ध धम्म के उभार के समय भारत विश्व गुरु और सोने की चिड़िया कहलाता था| अब इस धम्म को अपने घर में ही भुला दिया गया है| चीन, जापान जैसे देश तथागत की धम्म शिक्षाओं का अनुसरण कर स्वयं को अग्रणी बना चुके हैं| यदि भारत को फिर से विश्व गुरु बनाना है तो धम्म की शिक्षाओं को अपनाना होगा| समाज से जाति, वर्ण, और उंच – नीच की खाई को पाटना होगा| सूरसदन में आयोजित राष्ट्रीय धम्म संसद में मुख्य अतिथि भंते ज्ञानेश्वर जी ने यह बात कही| उन्हें राष्ट्रीय बौद्ध महासभा की ओर से विश्व धम्म रत्न से सम्मानित भी किया गया| मूल रूप से म्यांमार के रहने वाले भंते ज्ञानेश्वर जी, वर्मा देश से आकर लंबे समय से कुशीनगर में सक्रिय हैं| राष्ट्रीय बौद्ध महासभा ने यह आयोजन डॉ. भीमराव अंबेडकर जी, के आगरा आगमन के 69 वें वर्ष एवं मान्यवर कांशीराम साहव जी, की 91 वीं जयंती पर किया था| भदंत ज्ञानेश्वर जी, ने कहा प्राचीन काल में संपूर्ण एशिया बौद्ध धम्ममय था| अब भारत से ही धम्म भुलाया जा रहा है| उन्होंने कहा कि जब तक हमारे बीच भेदभाव रहेगा हम अपनी खोई हुई शक्ति प्राप्त नहीं कर पाएंगे|
जातिगत भेदभाव की संकीर्ण मानसिकता से निकलकर मानवता, वैज्ञानिकसोच, एवं प्रकृति को आगे रखकर भाईचारा स्थापित करना होगा| एकजुट
होकर यदि हमने बुद्ध की शिक्षाओं को अपनाया तो, देश पुन: फिर से अखंड भारत बन सकता है|
राष्ट्रीय धम्म संसद में देश भर से 30 राज्यों से प्रतिनिधि लगभग 1200 लोगों ने भाग लिया, शुरुआत बुद्ध वंदना से हुई। राष्ट्रीय आचार्य इं. किशोर बौद्ध राष्ट्रीय कार्यवाहक अध्यक्ष बादल सिंह बौद्ध , राष्ट्रीय संविधान वाचक प्रो. आर. सी धीमान जी, राष्ट्रीय सहायक आचार्य एल.पी.अमृत बौद्ध उपासिका विंग राष्ट्रीय बौद्ध महासभा की राष्ट्रीय अध्यक्षसुषमा बौद्ध , ने भी अपने विचार रखे, राष्ट्रीय धम्म संसद की अध्यक्षता करते हुए| राष्ट्रीय बौद्ध महासभा के संस्थापक व पूर्व विधायक धर्मप्रकाश भारतीय बौद्ध जी ने हमे वताया की बाबा साहेव डॉ. अम्बेडकर जी के मार्ग पर चलना होगा| और समस्त देश को एक सूत्र में बांधकर चलने की जरुरत है।