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धोखाधड़ी से बचने के लिए राज्य में वित्तीय खुफिया इकाई – मुख्यमंत्री फडणवीस
बिपिन गुप्ता/महाराष्ट्र
मुंबई, नियमानुसार दिए जाने वाले ब्याज से दोगुना ब्याज दर देने वाली योजनाओं का विज्ञापन देकर तथा अत्यधिक ब्याज दरों का लालच देकर ऋण संस्थाओं या बैंकों में जमाकर्ताओं के साथ की जाने वाली धोखाधड़ी को रोकने के लिए अब राज्य में एक ‘वित्तीय खुफिया इकाई’ की स्थापना की जाएगी। मंगलवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा कि इस इकाई के माध्यम से ऐसी योजना विज्ञापनों के बारे में जानकारी एकत्र करके जमाकर्ताओं के साथ धोखाधड़ी रोकने के लिए उचित कार्रवाई की जाएगी।
सदस्य प्रकाश सोलंके ने ज्ञानराधा मल्टीस्टेट को ऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटी की शाखा में अनियमितताओं के संबंध में प्रश्न उठाया था।
इस सवाल के जवाब में अधिक जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि राज्य में शिकायतें बढ़ रही हैं कि कुछ बहु – राज्यीय ऋण संस्थाएं जमाकर्ताओं के साथ धोखाधड़ी कर रही हैं। इसलिए, राज्य सरकार ऐसी ऋण संस्थाओं, बैंकों और चिटफंड कंपनियों को विनियमन के दायरे में लाकर जमाकर्ताओं के धन की सुरक्षा के प्रयास कर रही है। सहकारी बैंकों में छोटे निवेशकों की पांच लाख तक की जमा राशि सुरक्षित रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध किया जाएगा कि वह सहकारी बैंकों पर केंद्र सरकार के अधिनियम के अनुसार ऋण संस्थाओं में जमाकर्ताओं की जमा राशि की सुरक्षा के लिए कानून में संशोधन करे या नया कानून बनाए।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, बीड जिले में ज्ञानराधा मल्टीस्टेट को – ऑप क्रेडिट सोसायटी राज्य भर में इस बैंक की 50 शाखाओं में ठगे गए निवेशकों की संख्या 20,802 है और उनसे 1,121.47 करोड़ रुपये की ठगी की गई है। इस बैंक के अध्यक्ष और निदेशकों ने जमाकर्ताओं को उनकी जमा राशि वापस करने के लिए बार-बार समय सीमा दी। लेकिन निर्धारित तिथि पर जमाकर्ताओं को जमा राशि लौटाने में अनिच्छा दिखाई गई। मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि इस ऋण संस्था द्वारा धोखाधड़ी किए गए जमाकर्ताओं का पैसा जब्त संपत्तियों की नीलामी करके वापस किया जाएगा।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि ज्ञानराधा मल्टीस्टेट कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटी के जमाकर्ताओं की जमा राशि लौटाने के लिए महाराष्ट्र जमाकर्ता हित संरक्षण अधिनियम के तहत 80 संपत्तियों की पहचान की गई है। इन 80 संपत्तियों को कानून के अनुसार जब्त कर नीलाम किया जाएगा। इन संपत्तियों का मूल्य 6,000 करोड़ रुपये है। संपत्ति की नीलामी प्रक्रिया और अधिक तेजी से पूरी की जाएगी तथा जमाकर्ताओं का पैसा वापस किया जाएगा।
इस प्रश्न पर चर्चा के दौरान सदस्य नाना पटोले, बबनराव लोनीकर और राहुल पाटिल ने उप-प्रश्न भी उठाए।