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सामाजिक समरसता में शिक्षा एवं संस्कारों की भूमिका” नामक विषय पर परिचर्चा का आयोजन देश की राजधानी दिल्ली में किया गया
मोदी के नेतृत्व में साकार हो रहे बाबा साहेब के अधूरे सपने:- मंत्री जितेंद्र सिंह
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आज प्रधानमंत्री संग्रहालय, नई दिल्ली में “सामाजिक समरसता में शिक्षा एवं संस्कारों की भूमिका” विषय पर भारत विकास परिषद, दिल्ली प्रान्त (उत्तर) के तत्वाधान में एक भव्य परिचर्चा का सफलतापूर्वक आयोजन संपन्न हुआ।
गोष्ठी के मुख्य अतिथि डॉ. जितेन्द्र सिंह, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय एवं कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग ने समाज निर्माण में शिक्षा व संस्कारों की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में सामाजिक समरसता के बीज अंतर्निहित हैं। नई शिक्षा नीति को लेकर कहा कि इसके अच्छे परिणाम भविष्य में देखने को मिलेंगे। केंद्रीय मंत्री ने विभिन्न महापुरुषों के वक्तव्यों को उद्धृत करते हुए कहा कि हमें भारत की ताकत को पहचानने की जरूरत है। देश के बंटवारे को लेकर कहा कि देश के पढ़े-लिखे लोगों ने ही देश का बंटवारा कराया। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में बाबा साहेब के अधूरे सपनों को पूरा करने का पुरजोर कार्य हो रहा है। वर्ष 2047 तक सबका विकास के मुकाम को हासिल कर लिया जाएगा।
गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे भारत विकास परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री आदर्श कुमार गोयल ने अपने संबोधन में कहा कि बीते दिनों डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाई गई, जिनका आज के विषय से गहरा नाता है। अंबेडकर ने संविधान में सभी में एकता की भावना उत्पन्न करने के लिए इस विषय को जोड़ा। उन्होंने आगे भारतीय संस्कृति पर जोर देते हुए कहा कि एक हैं तो सेफ हैं। वहीं वक्फ कानून को लेकर बंगाल में हुई हिंसा पर कहा कि कानून का विरोध करना हो तो करें, लेकिन जिस प्रकार की हिंसा हुई वह गलत है।
भारत विकास परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री सुरेश जैन ने परिषद के उद्देश्य, कार्यपद्धति एवं सेवा-संस्कार आधारित दृष्टिकोण पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत विकास परिषद के अंदर सेवा की भावना है, और समरसता का भाव जागृत करना ही परिषद का उद्देश्य है। उन्होंने आगे बताया कि परिषद का प्रत्येक सदस्य समाज के अंतिम व्यक्ति तक भारतीय जीवन मूल्यों को पहुँचाने और सामाजिक समरसता के लिए प्रतिबद्ध है।
विशिष्ट अतिथि श्री कर्नल सिंह, राष्ट्रीय संयोजक संपर्क, भारत विकास परिषद एवं पूर्व निदेशक, प्रवर्तन निदेशालय ने अपने संबोधन में कहा कि सामाजिक समरसता के लिए केवल शिक्षा नहीं, बल्कि लोगों की सोच में भी बदलाव की आवश्यकता है। वोटबैंक की राजनीति के लिए लोगों को बहकाया जा रहा है। आज के युवाओं को अपने रोल मॉडल को सही ढंग से चुनना होगा।
प्रो० बलराम पाणी, डीन ऑफ कॉलेजेस, दिल्ली विश्वविद्यालय ने शिक्षा प्रणाली की वर्तमान चुनौतियों की चर्चा करते हुए कहा कि शिक्षा के साथ युवाओं को अपने संस्कारों पर भी काम करना होगा।
दिल्ली विश्वविद्यालय के डीन प्लानिंग, प्रो. निरंजन कुमार ने विषय की पृष्ठभूमि रखी. कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शिक्षाविदों, समाजसेवियों, परिषद के पदाधिकारियों-सदस्यों और विभिन्न सामाजिक क्षेत्रों के गणमान्य लोगों ने प्रतिभागिता की।