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विपक्षी दलों की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने केंद्र सरकार पर संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति पद पर केवल उसी व्यक्ति को पहुंचना चाहिए, जो देश के लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए सरकार पर आवश्यक चेक एंड बैलेंस का नियम लागू कर सके। यदि इस पद पर ऐसा व्यक्ति पहुंचा, जो सरकार की मुट्ठी में कैद हो तो वह इस पद के साथ न्याय नहीं कर पायेगा। उन्होंने कहा कि रक्त की अंतिम बूंद शेष रहने तक भी वे इस लड़ाई को जारी रखेंगे, क्योंकि यह विचारधारा की लड़ाई है। उन्होंने कहा कि उनके नामांकन के लिए 17 विपक्षी दलों का साथ आना एक शुभ शुरुआत है। यशवंत सिन्हा ने यह टिप्पणी राष्ट्रपति पद के लिए अपना नामांकन दाखिल करने के बाद एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से भी मिलकर अपने लिए समर्थन मांगने की कोशिश की थी, लेकिन उनका संपर्क नहीं हो पाया। उन्होंने कहा कि वे एनडीए खेमे के दलों से भी अपने लिए समर्थन मांगेंगे और उनका यह अभियान 16-17 जुलाई तक चलेगा। 18 जुलाई को राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होना है। यशवंत सिन्हा ने कहा कि यह एक बहुत बड़ी लड़ाई है और इस लड़ाई में अपनी छोटी सी भूमिका निभाकर भी वे संतुष्ट होंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार की दावेदारी को देखते हुए मुझे दौड़ से हटने के लिए भी कहा गया। लेकिन वे इस दौड़ से नहीं हटेंगे क्योंकि यह लड़ाई एक वैचारिक लड़ाई है जिसे आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि देश के इस सर्वोच्च संवैधानिक पद के लिए सरकार ने आम सहमति बनाने का कोई प्रयास नहीं किया। राष्ट्रपति का पद इस लोकतंत्र में चेक एंड बैलेंस को बनाने के लिए है। इसे केवल एक औपचारिकता निभाने वाला पद नहीं माना जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति भवन में केवल उसी व्यक्ति को जाना चाहिए, जो आवश्यक बिंदुओं पर सरकार को सलाह दे सके। लेकिन यदि इस पद पर कोई ऐसा व्यक्ति पहुंचता है जो सरकार के कब्जे में है तो वह इस पद के साथ जुड़ी जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं कर पायेगा। लिहाजा, इस पद पर केवल उसी व्यक्ति को पहुंचना चाहिए जो संवैधानिक व्यवस्था को मजबूत कर सके। पूर्व भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने कहा कि सरकार सभी संवैधानिक संस्थाओं का अपमान कर रही है। केवल अपराधियों पर ही नहीं, विपक्षी दलों के नेताओं से भी अभद्र व्यवहार किया जा रहा है। इन चीजों को रोकने के लिए इस पद पर एक बेहतर उम्मीदवार को भेजा जाना चाहिए। पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि नई बिल्डिंग बनाने से देश के सांसद की गरिमा नहीं बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि पिछले संसद भवन में एक गरिमा झलकती है जबकि नया भवन भयावह दिखता है।
सरकार के क़ई फैसलों की कड़ी आलोचना करते हुए पूर्व वित्तमंत्री रह चुके यशवंत सिन्हा ने कहा कि डिमोनेटाइजेशन इस देश का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार है क्योंकि इसके कारण देश का भारी नुकसान पहुंचा, जबकि इसी की आड़ में कालेधन की बड़ी मात्रा को सफेद कर दिया गया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने के बाद भी एनडीए उम्मीदवार का प्रेस कांफ्रेंस न करना अच्छा संकेत नहीं है। उन्होंने कहा कि किसी समुदाय से किसी एक व्यक्ति के मजबूत होने से पूरा समुदाय मजबूत नहीं होता। यशवंत सिन्हा ने आरोप लगाया कि यह सरकार केवल प्रतीकों की राजनीति करती है। अनेक अवसरों पर इन्हीं समुदायों के लोगों के साथ गलत होता रहा है, लेकिन उन अवसरों पर सरकार ने कोई आवाज नहीं उठाई।