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बिजली निगम ने दक्षिणांचल के 50 गांवों के लोगों को लो -वोल्टेज, लोकल फाल्ट से राहत दिलाने के लिए 12 वर्ष पहले खखाईच खोर गांव में उपकेंद्र बनाने का काम शुरू किया था। लेकिन सुस्ती का आलम यह है कि जो उपकेंद्र एक साल में बनकर शुरू हो जाना चाहिए था, वह 12 साल बाद भी अधूरा और काम बंद है। अर्द्धनिर्मित उपकेंद्र ठंडक, गर्मी, वर्षात सभी मौसम में इलाके के लावारिस पशुओं का अड्डा बनकर रह गया है। मामले को लेकर निगम लापरवाह बना है।
बड़हलगंज, गोला, गगहा ब्लॉक से घिरे बांगर के करीब 50 गांव को चैनपुर, अहिरौली, मझगावां उपकेंद्र से बिजली मिलती है। 15 से 20 किलोमीटर लंबा फीडर होने के कारण गांवों में पर्याप्त वोल्टेज नहीं पहुंचता है। बिजली निगम ने साल 2010 में खखाईच खोर में नया उपकेंद्र बनाने का प्रस्ताव बनाया। पावर कारपोरेशन ने प्रस्ताव को मंजूरी देने के साथ ही 2.65 करोड़ रुपये भी जारी कर दिए। लखनऊ की फर्म एसपी ब्राइट को उपकेंद्र बनाने की जिम्मेदारी मिली।
फर्म को एक साल में उपकेंद्र बनाकर चालू करने का निर्देश था। दिसंबर 2010 में फर्म के मालिक योगेंद्र मेहता ने उपकेंद्र निर्माण का काम शुरू करा दिया। इस दौरान क्षेत्र के लोगों को काफी खुशी हुई। लगा कि बहुत जल्द लोकल फाल्ट, लो बोल्टेज से निजात मिल जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ उपकेंद्र का भवन तैयार होने के बाद ठेकेदार ने काम बंद कर दिया। इस दौरान काम की तय समयसीमा भी खत्म हो गई।
नहीं किया फर्म को ब्लैकलिस्ट करने की कार्रवाई
वर्ष 2019 में जागा था निगम
विद्युत कार्य मंडल के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता एनके श्रीवास्तव ने 2019 में उपकेंद्र को पूरा कराने की पहल की। छह माह के पत्राचार के बाद फर्म के मालिक योगेंद्र मेहता ने अधीक्षण अभियंता से संपर्क किया। अधीक्षण अभियंता के निर्देश पर फर्म ने 33 केबीए लाइन का निर्माण कराया।
उसके बाद भुगतान की मांग करने लगा। एग्रीमेंट में कार्य पूरा होने पर भुगतान देने का उल्लेख होने के कारण अधीक्षण अभियंता ने बीच में भुगतान करने से इनकार कर दिया। 25 लाख रुपये के भुगतान के अभाव में फर्म ने उपकरण लगाने और 11 केवी लाइन बनाने से हाथ खड़े कर दिए।