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पाकिस्तान सरकार ने पड़ोसी देश अफगानिस्तान में सत्तारूढ तालिबान सरकार को पत्र लिखकर आतंकी सरगना मौलाना मसूद अजहर को गिरफ्तार करने की मांग की है। अजहर प्रतिबंधित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का संस्थापक है तथा संयुक्त राष्ट्र का घोषित आतंकी है।
बताया जा रहा है कि पाकिस्तान ने यह कदम भारत और पश्चिमी देशों के दबाव में उठाया है। बता दें, मसूद अजहर को दो अन्य आतंकियों के साथ 1999 के कंधार विमान अपहरण कांड के यात्रियों की रिहाई के बदले में भारत ने रिहा किया था। पाक समर्थित आतंकी काठमांडू-दिल्ली फ्लाइट को अपहरण करने के बाद अफगानिस्तान के कंधार लेकर गए थे।
भारत मसूद को सौंपने की मांग कर रहा
मसूद की गिरफ्तारी के लिए पत्र लिखने की सूचना पाकिस्तानी मीडिया ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में दी। इसमें कहा गया है कि पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने तालिबान सरकार से इस बारे में संपर्क किया है। मसूद ने भारत द्वारा छोड़े जाने के बाद जैश-ए-मोहम्मद (JeM) बना लिया था। जैश ने कश्मीर समेत भारत में कई आतंकी हमले किए, जिसमें अनेक भारतीयों की जान गई। उसके बाद से भारत मसूद की गिरफ्तारी व उसे सौंपने की मांग कर रहा है।
अफगानिस्तान में छिपा बैठा है अजहर
पाकिस्तान के जियो न्यूज चैनल के अनुसार तालिबान विदेश मंत्रालय को लिखे पत्र में पाकिस्तान ने कहा है कि उसे यकीन है कि अजहर अफगानिस्तान में कहीं छिपा है। पाक चैनल ने एक अज्ञात पाकिस्तानी अधिकारी के हवाले से यह खबर दी है। पत्र में कहा गया है कि अजहर अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत या कुनार प्रांत में छिपे होने की संभावना है। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अभी यह पुष्टि नहीं हुई है कि अगस्त 2021 में काबुल में तालिबान के सत्ता में आने से पहले या उसके बाद अजहर अफगानिस्तान चला गया था या नहीं।
एफएटीएफ की बैठक में पश्चिमी देशों ने भारत की मांग का किया था समर्थन
इस साल की शुरुआत में पश्चिमी देशों ने अजहर, लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद और लश्कर के संचालक साजिद मीर समेत 30 प्रमुख आतंकी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई के लिए फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की बैठक में भारत की मांग का समर्थन किया था। इसके बाद से माना जा रहा था कि पाकिस्तान को मजबूर होकर इस दिशा में कदम उठाना पड़ेगा। हालांकि, यह मानना जल्दबाजी होगी कि तालिबान सरकार मसूद अजहर को पकड़कर पाकिस्तान या भारत को सौंप देगी।
अक्तूबर में होगी एफएटीएफ की बैठक
एफएटीएफ की टीम ने 28 अगस्त से दो सितंबर तक पाकिस्तान का ऑन-साइट दौरा किया था, ताकि आतंकवाद के वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग की बहुपक्षीय निगरानी की समीक्षा की जा सके। यह कदम अक्तूबर में प्रस्तावित एफएटीएफ की बैठक से पहले उठाया गया। इस बैठक में भी पाकिस्तान को इस वैश्विक संगठन की ‘ग्रे लिस्ट‘ से निकालने पर विचार होगा। पाकिस्तान आतंकवाद के समर्थन व वित्त पोषण को लेकर निरंतर ग्रे सूची में शामिल है। इस कारण उसे विश्व में शर्मिंदा होने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय वित्त संस्थाओं से समुचित मदद नहीं मिल पा रही है।