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केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत यूपी डिस्कॉम में बिजली के बुनियादी ढांचे को सुधारने का काम चल रहा है। इसमें सरकार बड़े निवेश करवा रही है। लेकिन विभागीय अधिकारियों की मनमानी व नियमों की अनदेखी के कारण खुलेआम फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। हालात यह है कि जिस कंपनी के खिलाफ केस दर्ज कराया गया था। उसी कंपनी को 500 करोड़ का टेंडर दिया गया।
राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत बिजली विभाग ने टेंडर कराया। जिसमें ग्रामीण इलाके की बिजली व्यवस्था में सुधार करने की योजना थी। इसके तहत हाल ही में टेंडर कराया गया। जिसमें कानपुर डिस्काम में 500 करोड़ रुपये का टेंडर जारी किया गया है। यह टेंडर एलएंडटी कंपनी को जारी किया गया है। इस कंपनी के कार्यों में यूपी डिस्कॉम में पहले से ही भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़ा का आरोप लगा। जिसकी पुष्टि भी जांच में हुई।
सतर्कता विभाग ने पहले ही केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित आरजीजीवीवाई परियोजना में कई करोड़ के घोटाले की जांच की है। जहां सरकार ने पहले ही मैसर्स एलएंडटी द्वारा किये गये लखीमपुर खीरी के 10 गांवों के कार्यों में अनियमितता पाई गई। सबूत के आधार कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर व एमवीवीएनएल के दो जेई के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया। उन पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और आईपीसी की अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।
एलएंडटी को परियोजना के तहत खराब गुणवत्ता वाली सामग्री की आपूर्ति के लिए दोषी पाया गया है। ऐसी सभी भ्रष्ट कंपनियों से बचने के लिए केंद्र सरकार ने पूरे देश में आरडीएसएस योजना के कार्यान्वयन के लिए मानक बोली दस्तावेज तैयार किए हैं लेकिन बोली दस्तावेजों के नियमों और शर्तों की अनदेखी करते हुए डिस्कॉम ऐसी कंपनियों के माध्यम से बना रहे हैं। ऐसी कंपनियां जानबूझकर बोली दस्तावेजों के मानदंडों के खिलाफ तथ्यों को छिपा रहे हैं।
विभाग को इस कंपनी को डिबार करना चाहिए लेकिन उसे लाभ दे रही है। इस कंपनी के खिलाफ महाराष्ट्र में फर्जी चालान का एक और मामला साबित हुआ है जहां मामला दर्ज है और 20 करोड़ का जुर्माना लगाया गया है।