शी जिनपिंग तीसरी बार बने चीन के सर्वोच्च नेता, पोलित ब्यूरो में वफादारों को किया शामिल

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चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग रविवार को तीसरी बार चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के सर्वोच्च नेता चुने गए। कम्युनिस्ट चीन के संस्थापक नेता रहे माओ जेदांग के बाद जिनपिंग पहले नेता हैं, जो तीसरी बार सुप्रीम लीडर बने हैं। दस दिनों तक चली 2,338 सीपीसी प्रतिनिधियों की 2oवीं नेशनल कांग्रेस का शनिवार को समापन हुआ। कांग्रेस में पार्टी संविधान में इस तरह के बदलाव किए गए हैं, जो जिनपिंग को चौथी बार भी सर्वोच्च नेता चुनने की राह आसान करते हैं। फिलहाल, उन्हें तीसरी बार पांच वर्ष के लिए पार्टी का महासचिव चुना गया है। मार्च 2023 में जिनपिंग तीसरी बार राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे।

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का महासचिव चीन का सबसे ताकतवर नेता होता है और आमतौर पर वही राष्ट्रपति यानी सरकार का प्रमुख भी होता है। शनिवार को सीपीसी कांग्रेस ने 203 सदस्यों की केंद्रीय समिति चुनी। केंद्रीय समिति ने रविवार को शी को पार्टी महासचिव व सीपीसी सेंट्रल मिलिट्री कमीशन का अध्यक्ष चुना। इसके साथ ही शी जिनपिंग, ली कियांग, झाओ लेजी, वांग हुनिंग, काई क्यूई, डिंग जुएक्सियांग और ली शी को सीपीसी केंद्रीय समिति के पोलित ब्यूरो की स्थायी समिति का सदस्य चुना गया। असल में इन सात नेताओं के हाथ में ही चीन की पूरी सत्ता और शक्ति होती है। केंद्रीय समिति में 11 महिलाओं के चुने जाने के बाद भी पोलित ब्यूरो में 25 साल में पहली बार एक भी महिला को जगह नहीं मिली।

 

  • तानाशाही हटाओ, लोकतंत्र लाओ के नारे लगे… जिनपिंग के खिलाफ चीन में विरोध भी देखने को मिला है। जिनपिंग को तानाशाह बताते हुए बीजिंग सहित कई शहरों में पोस्टर-बैनर लहराए गए।

जिनपिंग के सिपहसालार
पोलित ब्यूरो की स्थायी समिति के सदस्यों के तौर पर जिनपिंग ने जिन नेताओं को सिपहसालार चुना है वे सभी वफादार क साथ ही अपने-अपने काम में माहिर लोग हैं।

  • ली कियांग : शंघाई के पार्टी प्रमुख के तौर पर उन्होंने जिनपिंग की जीरो कोविड नीति का कठोरता से पालन कर मिसाल पेश की। उन्हें जिनपिंग के बाद नंबर दो की हैसियत और प्रधानमंत्री का पद मिला है।
  • झाओ लेजी : पार्टी की भ्रष्टाचार और निष्ठाहीनता जांच एजेंसी के प्रमुख के तौर पर लेजी ने जिनपिंग की राह के कांटों को भ्रष्टाचार में फंसाकर दूर किया।
  • वांग हुनिंग : हुनिंग पार्टी की राष्ट्रवादी नीतियों के पीछे का दिमाग रहे हैं। जिनपिंग की कठोर नीतियों के पीछे भी मृदुभाषी हुनिंग का ही दिमाग है।
  • काई क्यूई : फिलहाल बीजिंग के पार्टी प्रमुख क्यूई और शी के संबंध दो दशक पुराने हैं। उन्होंने फुजियान में शी के साथ काम किया था।
  • डिंग जुएक्सियांग : जिनपिंग के निजी सहायक और सलाहकार के तौर पर जुएक्सियांग डेढ़ दशक से भी ज्यादा वक्त से जिनपिंग के साथ साये की तरह रहते हैं।
  • ली शी : ग्वांगडोंग प्रांत के पार्टी प्रमुख ली शी को भ्रष्टाचार के खिलाफ जिनपिंग के अभियान को आगे बढ़ाने वाले नेताओं में अव्वल माना जाता है।

कड़ा रुख बरकरार रहेगा
सर्वोच्च नेता चुने जाने के बाद शी ने कहा कि वे चीन को तकनीक व सैनिक ताकत के लिहाज से दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश बनाना चाहते हैं। विरोधियों का सफाया व वफादारों को इनाम जिनपिंग की क्रूर राजनीति के दो अहम हथियार रहे हैं।

कदम-दर-कदम चीन के फलक पर चढ़ते चले गए जिनपिंग
15 जून, 1953 को जन्मे जिनपिंग 1985 में जियामेन शहर के उप महापौर बने। 2000 से 2002 के बीच फुजियान के गवर्नर रहे। 2002 में पदोन्नति के तौर पर झेजियांग प्रांत में पार्टी प्रमुख के तौर पर नियुक्त किया गया। 2007 में शी को पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व में पोलित ब्यूरो में जगह दी गई। मार्च 2008 में चीन के उपराष्ट्रपति बने। इसके बाद नवंबर 2012 में महासचिव नियुक्त हुए और मार्च 2013 में पहली बार चीन के राष्ट्रपति बने।

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