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मथुरा के वृंदावन में ठा. बांकेबिहारी मंदिर के दर्शन गुरुवार को पुराने समय पर ही हुए। एक दिसंबर से दर्शन का समय तीन घंटे बढ़ाकर 11 घंटे करने का निर्णय लिया गया था, लेकिन इसका असर दिखाई नहीं दिया। बता दें ठाकुर बांके बिहारी जी के दर्शनों का बढ़ा हुआ समय रोकने के लिए सिविल जज जूनियर डिवीजन की अदालत में दो प्रार्थना पत्र दिए गए। दोनों प्रार्थना पत्रों पर अदालत में सुनवाई हुई और मामले को निर्णय के लिए रख लिया। अदालत के निर्देश पर बृहस्पतिवार से ठाकुर बांके बिहारीजी के दर्शन का समय 8.15 घंटे से 11 घंटे तक के लिए बढ़ा दिया गया, लेकिन इसका असर दिखाई नहीं दिया। पुराने समय पर ही हुए बांके बिहारी के दर्शन हुए। हालांकि न्यायालय के आदेश पर प्रबंधक द्वारा मंदिर के बाहर नोटिस भी चस्पा कर दिया गया था। वहीं बुधवार को इसको लेकर ठाकुर बांके बिहारीजी के सेवायत हिमांशु गोस्वामी तथा अन्य ने अदालत में प्रार्थना पत्र दिया। जिसमें निर्णय संबंधी आदेश पर पक्षकारों के नाम पर प्रतिवाद किया है। उन्होंने कहा है कि आदेश संबंधी प्रार्थना पत्र में पक्षकारों के नाम ठाकुर बांके बिहारीजी महाराज बनाम प्रबंधक दे रखा है। जिससे प्रतीत होता है कि वाद ठाकुर बांके बिहारी जी महाराज के प्रार्थना पत्र पर प्रबंधक के खिलाफ प्रस्तुत किया गया है। जबकि प्रार्थी की नजर में ऐसा कोई प्रकीर्ण वाद ठाकुर बांके बिहारीजी महाराज या किसी सेवायत द्वारा न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत ही नहीं किया है। बावजूद इसके इस वाद में अदालत ने बिना क्षेत्राधिकार आदेश पारित किए हैं। प्रार्थी ने बताया है कि वर्ष 2016 में विनोद बिहारी गोस्वामी आदि बनाम जनपद न्यायाधीश आदि में 14 सितंबर को 2017 और 6 मई 2022 के आदेश द्वारा मंदिर ठाकुर बांके बिहारी महाराज की प्रबंध व्यवस्था से संबंधित मूल वाद संख्या 156 वर्ष 1938 व उसके अंतर्गत प्रस्तुत प्रकीर्ण वाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार भी आपके न्यायालय ( सिविल जज जूनियर डिवीजन) से हाथरस स्थानांतरित हो चुका है। चूंकि इस स्थानांतरण याचिका में सिविल जज जूनियर डिवीजन खुद ही पक्षकार हैं तो इसकी पूर्ण जानकारी उन्हें होनी चाहिए। प्रार्थीगण ने प्रार्थना पत्र में यह भी कहा है कि हाईकोर्ट में अनंत शर्मा आदि बनाम उत्तर प्रदेश सरकार आदि में 28 नवंबर 2022 को भी आदेश के क्रियान्वयन को स्थगित कर दिया है। प्रार्थीगण ने अदालत से प्रार्थना की है कि ऐसी परिस्थिति में प्रकीर्ण वाद पर कोई भी आदेश पारित न किया जाए। अधिवक्ता गिरधारी लाल शर्मा ने बताया कि उन्होंने भी अदालत को इस संबंध में प्रार्थना पत्र दिया है।