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महापौर पद पर संभावित आरक्षण की तस्वीर साफ न होने से भाजपा समेत सभी प्रमुख दलों के प्रत्याशियों की बेचैनी बढ़ने लगी है। उम्मीद थी कि तीन-चार दिसंबर तक प्रदेश के सभी नगर निगमों के मेयर पद का आरक्षण जारी हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आरक्षण घोषित न होने की वजह से तमाम सियासी धुरंधरों ने भी चुप्पी साध ली है। प्रमुख दल के नेताओं को इसी बात का इंतजार है कि सरकार पहले सभी 17 निगमों का आरक्षण जारी करे, ताकि उसके बाद ही आगे की रणनीति बनाई जा सके।
दरअसल इस बार चक्रानुक्रम में आरक्षण तय हो सकता है। इसी वजह से अटकलें लगाई जा रही थीं कि प्रयागराज नगर निगम की सीट अनुसूचित जाति महिला को दी जा सकती है, लेकिन सत्तारूढ़ दल में इसे लेकर सहमति नहीं बन पा रही है। शायद इसी वजह से शनिवार को नगर विकास मंत्री की प्रस्तावित प्रेस कांफ्रेंस स्थगित हो गई। अब इस बात की चर्चा है कि सोमवार को कैबिनेेट की बैठक और गुजरात विधानसभा चुनाव का मतदान होने के बाद सरकार चुनाव के लिए आरक्षण कर सकती है।