शिरडी और पद्मनाभ मंदिर ट्रस्ट ने नव्य अयोध्या में मांगी जमीन, पहले चरण का लेआउट तैयार

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धर्मनगरी का वैभव बढ़ाने के लिए नई अयोध्या को आकार देने की कवायद तेज हो गई है। 1450 एकड़ में आकार लेने वाली नव्य अयोध्या में शिरडी व पद्मनाभ मंदिर ट्रस्ट ने पांच-पांच एकड़ जमीन मांगी है। ये ट्रस्ट यहां धर्मशाला व मंदिर बनाएंगे। इसके अलावा 10 से अधिक राज्यों व तीन देशों ने भी धार्मिक कार्य के लिए भूमि मांगी है।

देश के बड़े धर्म स्थल भी अयोध्या में मठ-मंदिर, आश्रम, धर्मशाला खोलने को लालायित दिख रहे हैं। इसी तरह कोलकाता के बेलूर मठ की ओर से भी जमीन मांगी गई है। उत्तराखंड सरकार ने भी एक एकड़ जमीन राज्यभवन के निर्माण के लिए मांगी है। तिरुपति बालाजी ट्रस्ट की ओर से भी तीन एकड़ जमीन की डिमांड की गई है। यहां मंदिर के साथ गेस्ट हाउस बनाने की उनकी योजना है।

आवास विकास विभाग के अधिशासी अभियंता ओपी पांडेय बताते हैं कि नव्य अयोध्या योजना तीन चरणों में मूर्तरूप लेते हुए धर्मनगरी का वैभव बढ़ाएगी। पहले चरण की योजनाओं का ले-आउट तैयार हो चुका है। साथ ही 83 फीसदी जमीन का अधिग्रहण भी हो गया है। पहले चरण में 39 होटल, 19 अंतरराष्ट्रीय व राज्य भवन सहित 65 आवासीय भवन व अन्य कई प्रकल्प बनेंगे।

उन्होंने बताया कि अब तक महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, कोलकाता, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तराखंड राज्य की ओर से नव्य अयोध्या में जमीन के लिए लिखित आवेदन आया है। इसके अलावा नेपाल, श्रीलंका, त्रिनिडाड व टोबैगो ने भी जमीन की मांग सरकार से की है।

नीलामी के जरिए बड़े ट्रस्टों को मिलेगी जमीन 
आवास विकास विभाग के अधिशासी अभियंता ओपी पांडेय ने बताया कि राज्यों के लिए जमीन आरक्षित की जा रही है। देश के जो बड़े ट्रस्ट हैं, उनके द्वारा आश्रम या गेस्ट हाउस के लिए जमीन मांगी जा रही है। उन्हें नीलामी की प्रक्रिया से गुजरना होगा या फिर ऐसे ट्रस्टों के लिए हम सीधे सरकार को जमीन दे देंगे।

 

टाइप टेस्ट पास नहीं किया तो चतुर्थ श्रेणी कर्मी बन जाएंगे बाबू

कैबिनेट ने मृतक आश्रित कोटे से समूह ग में नौकरी पाने वाले कर्मचारियों के लिए उप्र सेवाकाल मृत सरकारी सेवकों के आश्रितों की भर्ती (13वां संशोधन) नियमावली 2022 को मंजूरी दे दी है। इसके तहत अब मृतक आश्रित कोटे से नौकरी पाने वालों को दो साल में टाइप टेस्ट पास करना ही होगा। अगर वह ऐसा नहीं कर पाते हैं तो उन्हें समूह ग से समूह घ में पदावनत कर दिया जाएगा।

सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि सरकार के विभिन्न विभागों में कार्यरत कर्मचारियों-अधिकारियों की सेवाकाल के दौरान मृत्यु होने पर उनके आश्रितों को समूह ग में नौकरी दी जाती है। वर्तमान व्यवस्था के तहत मृतक आश्रित कोटे में नौकरी पाने वालों को पहले साल में टाइप टेस्ट पास करना होता है। अगर वह ऐसा नहीं कर पाते तो उनकी एक वेतन वृद्धि रोकते हुए एक और मौका दिया जाता है। दो साल बाद भी टाइप टेस्ट पास नहीं करने पर उन्हें सेवा से बर्खास्त किया जाता है।

प्रवक्ता ने बताया कि सेवा से बर्खास्त किए जाने पर परिवार पर भी संकट आता है और मामले न्यायालय में जाते है। इसलिए नियमावली में संशोधन करने के बाद अब उन्हें बर्खास्त नहीं किया जाएगा बल्कि उन्हें समूह ग से समूह घ में पदावनत कर दिया जाएगा।

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