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17 अप्रैल- श्रीरामचरितमानस की भाव सहित चौपाई
नमो राघवाय 🙏
जे हरषहिं पर संपति देखी ।
दुखित होहिं पर बिपति बिसेषी ।
जिन्हहि राम तुम्ह प्रानपियारे ।
तिन्ह के मन सुभ सदन तुम्हारे ।।
( अयोध्याकाण्ड 129/4)
राम राम 🙏🙏
वन जाते हुए राम जी बाल्मीकि जी के आश्रम आए हैं । राम जी ने उनसे अपने निवास करने का स्थान पूछा है ।बाल्मीकि जी कहते हैं कि जो दूसरों की बड़ाई पर प्रसन्न होते हैं तथा दूसरे के दुख में दुखी होते हैं , जिन्हें आप प्राणों के समान प्रिय हैं उनके मन आपके रहने के लिए शुभ भवन हैं
राम जी उसी पर रीझते हैं जो परहित में लगा होता है। परंतु हम आप तो दिन रात स्वहित में निरत हैं और इसी का चिंतन करते हैं , इसीलिए राम जी हमसे दूर हैं । अत: परहित की सोचें और राम समीपता पावें । अथ ! राम राम जय राम राम 🚩🚩🚩
संकलन तरूण जी लखनऊ