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प्रयागराज : कोरोना की दूसरी लहर जान पर अब भी भारी है। चार दिन से संक्रमितों की संख्या कम हो रही है, लेकिन जान गंवाने वालों का आंकड़ा नीचे नहीं आ रहा है। बृहस्पतिवार को पॉजिटिव मरीजों की संख्या 202 से बढ़कर तीसरे दिन फिर 241 पर आ गई। वहीं नौ मई से प्रतिदिन औसतन छह मरीजों की मौत चिंता बढ़ाने वाली है। स्वस्थ होने वालों की बढ़ती संख्या पर भी विराम लगा है। मई में बृहस्पतिवार को सबसे कम 399 मरीजों ने ही कोरोना को मात दी।
कोरोना संक्रमण का कहर अब गांवों में ज्यादा है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक प्रतिदिन साढ़े दस हजार लोगों की कोरोना जांच की जा रही है। संक्रमण शहरी क्षेत्र में बढ़ा तो होम आइसोलेशन में रहने वाले तेजी से संक्रमणमुक्त हुए। अब गांवों में ट्रेसिंग अभियान में चिह्नित संक्रमित गंभीर स्थिति में पाए जा रहे हैं। आठ मई से उपचार के दौरान कोरोना संक्रमितों में शहर और गांव का प्रतिशत क्रमश: 70 और तीस का है। साफ है कि गंभीर स्थिति में गांव से शहर के अस्पतालों में भर्ती हो रहे मरीजों में संक्रमण ज्यादा है। जान गंवाने वाले दो शहर के होते हैं तो पांच गांव के रहने वाले हैं।
जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ. ऋषि सहाय के मुताबिक बृहस्पतिवार को जिले में 10699 लोगों की कोरोना जांच की गई। 241 लोगों की कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आई। 24 घंटे में सिर्फ 399 लोग संक्रमणमुक्त हुए, इनमें 50 विभिन्न कोविड अस्पतालों से डिस्चार्ज किए गए। वहीं उपचार के दौरान सात लोगों की मौत हो गई। संक्रमितों की घटती संख्या के बीच पांच दिन से मौत का आंकड़ा छह पर टिकी है।
अस्पतालों में गंभीर मरीज, संक्रमितों के मुकाबले कम हो रहे डिस्चार्ज
कोरोना संक्रमण की इस दूसरी लहर में अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को ठीक होने में छह से आठ दिन लग रहे हैं। फेफड़ों में सूजन और संक्रमण से ऑक्सीजन स्तर सुधरने में कम से कम छह दिन लग रहे हैं। बिना ऑक्सीजन प्रेशर के मरीज का एसपीओटू 70-72 से अधिक नहीं जा पा रहा है। चिकित्सकों के मुताबिक इलाज में लापरवाही भारी पड़ रही है। लक्षण दिखने पर तुरंत जांच कराकर उपचार शुरू कराने वाले जल्दी स्वस्थ हो रहे हैं। एसआरएन अस्पताल ही नहीं निजी अस्पतालों के आईसीयू के 90 फीसदी बेड फुल हैं।