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13 मई – श्रीरामचरितमानस की भाव सहित चौपाई
नमो राघवाय 🙏

आपन रूप देहु प्रभु मोही ।
आन भाँति नहिं पावौं ओही ।।
जेहि बिधि नाथ होइ हित मोरा
करहु सो बेगि दास मैं तोरा ।।
( बालकांड 131/3-4)
राम राम 🙏🙏
नारद जी को अभिमान हो गया कि मैंने काम को जीत लिया है । श्रीहरि ने उसे तोड़ने के लिए शीलनिधि राजा की कन्या विश्वमोहिनी का स्वयंवर रच दिया । नारद वहाँ जाते हैं उसे देखकर मोहित हो जाते हैं और उसे पाने के लिए श्रीभगवान से उनका रूप माँगते हुए बोले कि नाथ ! जैसे भी मेरा हित हो आप वैसा जल्दी करें, मैं आपका दास हूँ ।
भगवान केवल हित करते हैं , भगवान को सबका हित पता है , नारद का अभिमान दूर कर उन्होंने उनका हित किया । अत: भगवान से ऐसा करें, वैसा करें नहीं केवल अपना हित करने की प्रार्थना करें और आपके साथ जो कुछ हो रहा है उसमें अपना हित मानें व प्रार्थना जारी रखें । जय जय राम, जय जय राम 🚩🚩🚩
संकलन तरूण जी लखनऊ

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