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23 जून – श्रीरामचरितमानस की भाव सहित चौपाई
नमो राघवाय 🙏
जौं परिहरहिं मलिन मनु जानी ।
जौं सनमानहिं सेवकु मानी। ।।
मोरें सरन रामहि की पनही ।
राम सुस्वामि दोसु सब जनही ।
( अयोध्याकाण्ड 233/1)
राम राम 🙏🙏
भरत जी प्रयाग से आगे चित्रकूट के लिए चलते हैं , वे सोचते जा रहें हैं कि चाहे मन का बुरा मानकर राम जी मुझे त्याग दें या अपना सेवक जानकर सम्मान करें , मेरे तो राम जी की जूतियाँ ही शरण हैं । राम जी तो अच्छे स्वामी हैं , दोष सब दास का है ।
राम जी अच्छे स्वामी हैं और दोष अपने में है , वे हमारे कैसा भी व्यवहार करें , हमारी उनके प्रति अनन्यता रहनी चाहिए । हमारी अनन्यता ही हमारा कल्याण करेगी । अतएव भरत जी की तरह सदा राम शरण में रहें , राम चरन में रहें । अथ ! जय चरन शरण , जय चरन शरण 🚩🚩🚩
संकलन तरूण जी लखनऊ