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चारित्रिक शक्तियों का विकास करेगा मानसिक बीमारियों से बचाव”
ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय
लखनऊ। वर्तमान परिदृश्य में बढ़ रही मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के आंकड़ें यह दर्शाते हैं कि अच्छे मानसिक स्वास्थ्य में चारित्रिक शक्तियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। अनुभूति जैन, प्रवक्ता मनोविज्ञान, राजकीय महाविद्यालय कुचलाई, सीतापुर, को मनोविज्ञान विषय में डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की गई। इस शोध प्रबंध के वाह्य परीक्षक प्रोफेसर राकेश पाण्डेय, पूर्व विभागाध्यक्ष, मनोविज्ञान विभाग, बी. एच. यू., वाराणसी थे। शोध प्रबंध का विषय था “Character Strengths, Defense Mechanisms & Mental Illness.”
प्रोफेसर मधुरिमा प्रधान, पूर्व विभागाध्यक्ष, मनोविज्ञान विभाग एवं संस्थापक निदेशक, हैप्पी थिंकिंग लैबोरेट्री, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ, एवं सहायक शोध परिवेक्षक, प्रोफेसर विवेक अग्रवाल, विभागाध्यक्ष, मानसिक चिकित्सा विभाग, किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ के निर्देशन में किए गए इस शोध में अवसाद एवं चिंता के 18 वर्ष से 40 वर्ष की आयु वाले 60 मरीजों को सम्मिलित किया गया। साथ ही साथ 60 मानसिक रूप से स्वास्थ प्रायोज्यों को भी इस शोध में शामिल कर के एक तुलनात्मक अध्ययन किया गया। इस शोध के माध्यम से बताया गया की प्रत्येक व्यक्ति में बुद्धि, साहस, मानवता, न्याय, संयम और उत्कृष्टता के छ: सद्गुण और उनसे जुड़ी 24 चारित्रिक शक्तियां होती हैं जिनमे से 3 से 5 शक्तियां उनकी हस्ताक्षर शक्तियां होती हैं। शोध के परिणामों में पाया गया कि मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति अपनी इन चारित्रिक शक्तियों का प्रदर्शन सामाजिक रूप से स्वीकृत व्यवहारों के माध्यम से कर पाने में सफल होते हैं जबकि मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्तियों में इनका प्रदर्शन कर पाने का कौशल नहीं होता। शोध में बताया गया की इसका एक प्रमुख कारण यह है कि मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्तियों को अपनी शक्तियों की सार्थक जानकारी नहीं होती जिसके कारण वह उनका उचित प्रयोग नहीं कर पाते। आमतौर पर ऐसे व्यक्ति तनाव अथवा चिंता से निपटने हेतु अपने अंदर उपस्थित कमियों को ठीक करने की कोशिश करते हैं किंतु इस प्रक्रिया में वह अपने भीतर मौजूद गुणों पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते जिसके कारण वह एक नकारात्मक चक्रव्यूह में घिरे रहते हैं। शोध में यह पाया गया की उत्तम मानसिक स्वास्थ्य के लिए ना केवल कमियों को सही करना आवश्यक है अपितु व्यक्ति के अंदर पाए जाने वाले सकारात्मक मूल्यों एवं शक्तियों को बढ़ावा देना भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है। इसके अतिरिक्त परिणामों से यह भी पता चला कि चारित्रिक शक्तियां कम या अधिक मात्रा में सभी व्यक्तियों के भीतर पाई जाती हैं तथा दैनिक जीवन में इनका प्रयोग कर के व्यक्ति अपनी शक्तियों को निखार कर प्रखर कर सकता है जिसका उसके मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता पाया गया। चारिकत्रिक शक्तियों के साथ साथ मानसिक रक्षा युक्तियों पर भी शोध किया गया और यह पाया गया की अच्छे मानसिक स्वास्थ्य को पाने में श्रेष्ठ मूल्यों के साथ साथ सकारात्मक मानसिक रक्षा युक्तियों की भी अहम भूमिका है। उल्लेखनीय है कि तनाव की स्तिथि में व्यक्ति की चिंतन क्षमता सही दिशा में कार्य नहीं कर पाती जिस कारण विषम परिस्थितियों से निपटने हेतु व्यक्ति अधिकतर कुअनुकूलित उपायों को अपनाता है जो की उसका तनाव कम करने में सहायक होने की अपेक्षा व्यक्ति को कुसमायोजित बना देते हैं। यदि शुरू से ही लोगों को अपने अंदर उपस्थित उत्कृष्ट एवं सकारात्मक गुणों एवं शक्तियों का बोध कराया जाए, तथा विषम परिस्थितियों में धीरज रखते हुए दृढ़ सोच के साथ परिस्थिति से निपटना सिखाया जाए, तो व्यक्ति अपने जीवन को अधिक ऊर्जावान बना सके हैं और अपनी प्रतिभा को बेहतर निखार सकते हैं। इसके अतिरिक्त शोध में यह भी पाया गया की सभी मनुष्यों के अंदर कुछ विशिष्ट शक्तियां (सिग्नेचर स्ट्रेंथ्स) भी पाई जाती हैं जो हर व्यक्ति के लिए भिन्न होती हैं। इन विशिष्ट शक्तियां का सही प्रयोग ना कर पाना सभी मनुष्यों के लिए आम बात है पर इनके बारे में जान कर तथा इनका प्रयोग कर के सभी व्यक्ति अपने जीवन को उत्साहपूर्ण, प्रसन्न एवं संतुलित बना सकते हैं।
इस शोध के परिणाम चारित्रिक शक्तियों तथा उनके अभ्यास के महत्व पर बल डालते हुए इस बात पर प्रकाश डालती है की अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लिए अपने व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन लाने की आवश्यकता है। यदि सभी मनुष्य अपने अंदर पाए जाने वाली शक्तियों की समीक्षा कर के उनका सही प्रयोग करें, तो उनका जीवन निश्चित की उत्साहपूर्ण एवं ऊर्जावान बन जायेगा।