जीवन के स्वर” की प्रतियां वितरित की गईं

Getting your Trinity Audio player ready...

——————–
“जीवन के स्वर” की प्रतियां वितरित की गईं
————————————
हिन्दी भाषा के विकास के लिए भिन्न प्रयासों को मूर्तरूप देने के सम्बन्ध में विचार विमर्श हेतु एक कार्यशाला अ-मोक्ष साधना केंद्र, राजनिकेतन, वृन्दावन योजना, लखनऊ पर आयोजित हुई।
आयोजन के मुख्य अतिथि के रूप में हिन्दी साहित्य के प्रति समर्पित, उ.प्र.राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान से निकलने वाली त्रैमासिक पत्रिका “अपरिहार्य” के पूर्व सम्पादक
श्री अनन्त प्रकाश तिवारी उपस्थित थे तो समारोह की अध्यक्षता गोपाल कुंज अध्यासी कल्याण समिति वृन्दावन योजना लखनऊ के पूर्व अध्यक्ष, कर्नल वाई.एस .यादव ने की। समारोह में अवकाश प्राप्त न्यायाधीश
श्री आर.पी.द्विवेदी,अवकाश प्राप्त न्यायाधीश श्री एस.के. विश्वकर्मा के साथ ही
इं जटाशंकर,अधिवक्ता श्री विनय शंकर पाण्डेय, पूर्व वायु सेना अधिकारी श्री के.एस. मिश्र,श्री समर्थ सिंह एवं श्री असलम अली खान एवं श्री एस के विश्नोई भी उपस्थित रहे।
इस अवसर पर अ-मोक्ष साधना केन्द्र के संस्थापक, श्री शिवशंकर द्विवेदी ने अपनी कविता संग्रह “जीवन के स्वर” में विवेच्य विन्दुओं पर प्रकाश डालते हुए हिन्दी के विकास हेतु अपेक्षित कार्य के लिए विचारणीय विन्दुओं पर उपस्थित विद्वज्जन से अपने-अपने विचार रखने का अनुरोध किया जिस पर वक्ताओं ने कहा कि, हिन्दी तभी ग्राह्य हो सकेगी जब हिन्दी में विज्ञान, चिकित्सा-अनुसंधान और न्यायिक कार्य सम्पन्न होने आरम्भ होंगे। उपस्थित वक्ताओं ने हिन्दी को केंद्र में रखकर अ-मोक्ष साधना केंद्र के प्रयासों की सराहना की। कार्यशाला में इस तथ्य पर सन्तोष व्यक्त किया गया कि, आज विश्व के कोने-कोने में हिन्दी बोलने और
समझने वाले मिल रहे हैं जिसमें हमारे युवा वैज्ञानिकों, व्यापारियों और उपभोक्ताओं का सराहनीय योगदान है।
अ-मोक्ष साधना केंद्र के महा प्रबन्धक श्रीमती कुसुम लता द्विवेदी ने “जीवन के स्वर” की प्रतियां उपस्थित सदस्यों को भेंट स्वरूप देकर हिन्दी के प्रति अ-मोक्ष साधना के प्रयासों को रेखांकित करने का प्रयास किया।
समारोह में उपस्थित सभी के प्रति आभार प्रदर्शन अ-मोक्ष साधना केंद्र से जुड़े श्री श्रीराम जी ने किया एवं आशा व्यक्त किया कि अ-मोक्ष साधना केंद्र के आह्वान पर भविष्य में भी लोग उपस्थित होंगे। इस प्रकार आनन्दमय वातावरण में कार्यक्रम की समाप्ति हुई।
शिव शंकर द्विवेदी,
अ-मोक्ष साधना केंद्र राजनिकेतन वृन्दावन योजना लखनऊ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *