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चीन द्वारा 1962 में भारत पर किए आक्रमण के शहीदों को दी श्रद्धांजलि :खोसला
ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय
नई दिल्ली। भारत तिब्बत सहयोग मंच दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष भूषण कुमार जैन, महामंत्री कमल जी, भीम ब्रिगेड ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव जोली खोसला ,सुखमनी सेवा ट्रस्ट के फाउंडर राजू रहेजा व अन्य राष्ट्र भक्तों ने चीनी दूतावास के बाहर आज विशाल प्रदर्शन कर 1962 के शहीदों को श्रद्धांजलि दी। खोसला ने कहा कि चीन द्वारा भारत में हजारों करोड़ों रुपए का व्यापार किया जाता है हम भारतीयों को इसका विरोध करना चाहिए इसका विरोध हम ही करेंगे कोरोना के रूप में खुली मौत हुई चीन द्वारा ही भेजी गई थी सभी ने इसका सहयोग किया खोसला ने बताया कि 1962 के युद्ध का कारण
के पंचशील या पांच सिद्धांतों पर पहली बार औपचारिक रूप से 28 अप्रैल, 1954 को भारत और चीन के तिब्बत क्षेत्र के बीच हस्ताक्षर किए गए थे। इस समझौते पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और चीन के प्रथम प्रधानमंत्री चाउ एन-लाई के बीच हस्ताक्षर किए
भारत की आजादी के समय भारत और चीन के रिश्ते उतने कड़वे नहीं थे, जितने 1962 के बाद से हैं। क्योंकि, उस समय अमेरिका ने पाकिस्तान का पक्ष लिया था, इसलिए भारत ने अपने पड़ोसी चीन के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध रखने में ही भलाई समझी।
यही कारण है कि जब चीन तिब्बत पर आक्रमण कर रहा था, तो भारत ने उसका कड़ा विरोध नहीं किया। चीन के साथ भारत के रिश्ते तब खराब होने लगे, जब 1959 में भारत ने आध्यात्मिक नेता दलाई लामा को शरण दे दी थी।
हालांकि, तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने पंचशील समझौते के माध्यम से दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध बनाने की कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हुए और दोनों देशों के बीच 1962 का युद्ध हो गया।
आइए जानते हैं कि भारत और चीन के बीच पंचशील समझौता क्या था और इसे करने की
क्या था पंचशील समझौता
पंचशील समझौता भारत और चीन के क्षेत्र तिब्बत के बीच आपसी संबंधों और व्यापार को लेकर था।
पंचशील या पांच सिद्धांतों पर पहली बार औपचारिक रूप से 29 अप्रैल 1954 को भारत और चीन के तिब्बत क्षेत्र के बीच हस्ताक्षर किए गए थे। इस समझौते पर तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और चीन के प्रथम प्रधान मंत्री चाउ एन-लाई के बीच हस्ताक्षर किए गए थे।
“पंचशील” शब्द पंच + शील से बना है, जिसका अर्थ है पांच सिद्धांत या विचार।
पंचशील शब्द ऐतिहासिक बौद्ध शिलालेखों से लिया गया है, जो पांच निषेध हैं, जो बौद्ध भिक्षुओं के व्यवहार को निर्धारित करते हैं। प्रत्येक बौद्ध व्यक्ति को इन कार्यों को करने से प्रतिबंधित किया जाता है।