श्रीरामचरितमानस की भाव सहित चौपाई

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2 नवम्बर – श्रीरामचरितमानस की भाव सहित चौपाई
नमो राघवाय 🙏

मागु माथ अबहीं देउँ तोही ।
राम बिरहँ जनि मारसि मोही।।
राखु राम कहुँ जेहि तेहि भाँती ।
नाहिं त जरिहि जनम भरि छाती ।
( अयोध्याकाण्ड 33/4)
राम राम 🙏🙏
कैकेई ने दो वरदान दशरथ जी से माँग लिए हैं । दशरथ जी उसे समझाने का प्रयत्न कर रहें हैं । वे कहते हैं कि तुम सूर्यकुल रूपी बृक्ष के लिए कुल्हाड़ी मत बन । मेरा मस्तक माँग ले , मैं तुम्हें अभी दे दूँगा पर राम विरह में मुझे मत मार । तुम किसी भी प्रकार से राम को वन न जाने दे अन्यथा जीवन भर तेरा हृदय जलता रहेगा ।
इस जगत में राम जी से जिसने जिसने भी दूरी बनाई , उसने बड़ा दुख पाया है चाहे वह कैकेई हो या रावण । अत: राम जी से अलग न हों और अपने जीवन काल में ऐसा कोई कार्य न करें जिससे राम जी आपसे अलग हो जाएँ अन्यथा जीवन भर केवल पश्चाताप करना पड़ेगा और हाथ कुछ भी नहीं लगेगा । अथ ! राम राम जय राम राम 🚩🚩🚩
संकलन तरूण जी लखनऊ

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