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नमो राघवाय 🙏
जेहिं सायक मारा मैं बाली ।
तेहिं सर हतौं मूढ कहँ काली।।
जासु कृपाँ छूटहिं मद मोहा ।
ता कहुँ उमा कि सपनेहुँ कोहा ।।
जानहिं यह चरित्र मुनि ग्यानी ।
जिन्ह रघुबीर चरन रति मानी ।।
( किष्किंधाकांड 17/3-4)
राम राम🙏🙏
वर्षा ऋतु में राम जी प्रवर्षन पर्वत पर वास कर रहें हैं । वर्षा ऋतु बीतने पर राम जी लक्ष्मण से कहते हैं कि सीता की अभी तक कोई खबर नहीं मिली ।सुग्रीव भी सब कुछ पाकर मुझे भूल गया । वे आगे कहते हैं कि जिस बाण से मैंने बालि को मारा था उसी से कल उस मूढ को मारूँगा । शिव जी कहते हैं कि पार्वती ! जिसकी कृपा से मद व मोह छूट जाते हैं उसको स्वप्न में भी कहीं क्रोध हो सकता है ।ज्ञानी मुनि जिनकी राम चरणों में प्रीति है , वे ही राम जी के लीला चरित को जानते हैं ।
राम जी को जानना है , राम जी के गुणों व उनकी लीला को जानना है तो अपने को राम चरणों से जोड़ लें , अपने को रघुनाथ चरणों की ओर मोड़ लें व राम गुणगान करें । अस्तु जय जय राम, जय जय जय राम 🚩🚩🚩
संकलन तरूण जी लखनऊ