डॉ. बीरबल झा : अंग्रेजी शिक्षा को बनाया सुलभ, बदली लाखों की जिंदगी

Getting your Trinity Audio player ready...

डॉ. बीरबल झा : अंग्रेजी शिक्षा को बनाया सुलभ, बदली लाखों की जिंदगी

पटना, 23 मार्च: शिक्षा, सामाजिक न्याय और सांस्कृतिक उत्थान के क्षेत्र में डॉ. बीरबल झा का योगदान अतुलनीय है। वे न केवल बिहार बल्कि पूरे भारत में अंग्रेजी शिक्षा और सामाजिक सशक्तिकरण के अग्रदूत माने जाते हैं। उनके प्रयासों ने लाखों युवाओं, विशेषकर वंचित समुदायों को आत्मनिर्भर बनने का अवसर प्रदान किया है। एक शिक्षाविद, लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में उनकी भूमिका बहुआयामी और प्रेरणादायक रही है।

“इंग्लिश फॉर ऑल” सामाजिक अभियान: अंग्रेज़ी प्रशिक्षण में क्रांति का सूत्रपात
डॉ. बीरबल झा ने अंग्रेजी भाषा को केवल उच्च वर्ग तक सीमित रखने की मानसिकता को तोड़ते हुए “इंग्लिश फॉर ऑल” अभियान की शुरुआत की। इस अभियान का उद्देश्य अंग्रेजी भाषा को समाज के हर तबके के लिए सुलभ बनाना था। उनके प्रयासों की बदौलत लाखों छात्र, विशेष रूप से वंचित समुदायों के युवा, अंग्रेजी भाषा में दक्ष हुए और वैश्विक स्तर पर अपने करियर को नई ऊँचाइयाँ दीं। उनके इस प्रयास को सामाजिक क्रांति से कम नहीं आँका जा सकता।

अंग्रेज़ी साहित्य और पत्रकारिता में उल्लेखनीय योगदान
एक शिक्षाविद होने के साथ-साथ डॉ. झा एक प्रतिष्ठित लेखक भी हैं। उन्होंने अंग्रेजी संचार कौशल, व्यक्तिगत विकास, समाज और संस्कृति पर 30 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं, जो छात्रों, पेशेवरों और ज्ञान-जिज्ञासु पाठकों के लिए मार्गदर्शक साबित हुई हैं। उनकी लेखनी ने लाखों लोगों को जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है।

इसके अलावा, वे 20 वर्षों तक “लिंगुआ बुलेटिन” पत्रिका के संपादक रहे, जो अंग्रेजी भाषा शिक्षण और संचार कौशल को बढ़ावा देने के लिए समर्पित थी। इस पत्रिका ने शिक्षा के क्षेत्र में एक नई जागरूकता पैदा की और लाखों लोगों को अंग्रेजी सीखने में सहायता की।

दलित और वंचित समुदायों के लिए शिक्षा और सशक्तिकरण की अलख
डॉ. झा का मानना है कि समाज में वास्तविक समानता तभी आ सकती है जब शिक्षा सभी के लिए समान रूप से उपलब्ध हो। उन्होंने विशेष रूप से बिहार के दलित और वंचित समुदायों के लिए अंग्रेजी प्रशिक्षण और रोजगारपरक शिक्षा कार्यक्रम शुरू किए। उनके इन प्रयासों से हजारों लोगों को आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिला और वे सामाजिक तथा आर्थिक रूप से मजबूत हुए।

“पाग बचाओ अभियान” से सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित किया
केवल शिक्षा ही नहीं, डॉ. बीरबल झा सांस्कृतिक जागरूकता के क्षेत्र में भी एक प्रभावशाली व्यक्तित्व हैं। मिथिला की सांस्कृतिक धरोहर को बचाने के लिए उन्होंने “पाग बचाओ अभियान” चलाया। उनके अथक प्रयासों का ही परिणाम था कि 2017 में केंद्र सरकार ने मिथिला की ऐतिहासिक ‘पाग’ पर डाक टिकट जारी किया। यह न केवल मिथिला की सांस्कृतिक पहचान को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता देने वाला कदम था, बल्कि इससे क्षेत्रीय गौरव भी बढ़ा।

सम्मान और उपलब्धियाँ: एक प्रेरणादायक यात्रा
डॉ. बीरबल झा के योगदान को देखते हुए उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया है, जिनमें पंडित मदन मोहन मालवीय पुरस्कार, इंग्लिश लिटरेरी जेम अवार्ड और ग्लोबल स्किल्स ट्रेनर अवार्ड शामिल हैं। उनके कार्यों की सराहना न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हुई है।

एक युगद्रष्टा, जिसने लाखों का भविष्य संवारा
डॉ. बीरबल झा सिर्फ एक शिक्षाविद या लेखक नहीं हैं, बल्कि वे एक विचारक और समाज सुधारक हैं, जिन्होंने शिक्षा और सामाजिक न्याय को अपना मिशन बनाया। उनके प्रयासों से न केवल युवाओं को शिक्षा और रोजगार के अवसर मिले हैं, बल्कि समाज के वंचित वर्गों को भी आत्मनिर्भर बनने की राह मिली है।

उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बना रहेगा। वे उन विरले व्यक्तित्वों में से हैं, जिन्होंने शिक्षा को सुलभ बनाने और सामाजिक न्याय की दिशा में अमिट छाप छोड़ी है। आज जब भारत आत्मनिर्भर बनने की राह पर अग्रसर है, डॉ. झा जैसे विद्वान और समाजसेवी इस परिवर्तन के अग्रदूत बने हुए हैं। उनका जीवन और कार्य भारत को एक अधिक शिक्षित, सशक्त और प्रगतिशील समाज की ओर ले जाने में मील का पत्थर साबित हो रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *