रक्षाबंधन भगवान राम को भी उनकी बड़ी बहन बांधती हैं राखी

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अयोध्या।(डा.अजय तिवारी जिला संवाददाता)
रक्षाबंधन भगवान राम को उनकी बहन हर वर्ष राखी बांधती हैं।यह परम्परा अभी भी बरकरार है। रविवार को रक्षाबंधन है।आज भी हिमाचल के कुल्लू में शृंग ऋषि और शांता मंदिर से भगवान राम के लिए राखी आती है।पुजारी रामलला की कलाई पर इस रक्षा सूत्र को बांधते हैं।वही इसके अतिरिक्त देशभर से श्री रामजन्मभूमि परिसर में विराजमान भगवान श्रीराम को बहनें रक्षा भेजती हैं। और कामना करती हैं कि हमारी और हमारे परिवार की रक्षा श्रीरामलला करेंगे।
इस रक्षाबंधन परंपरागत मिठाई की जगह कोशिश करें।रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि, भगवान श्रीराम की एक बहन थी शांता। शांता चारों भाइयों को रक्षाबंधन पर राखी बांधती थी। परंपरा आज भी चली आ रही हैं। इसके अलावा देश में बहुत सी बहनें ऐसी है जो भगवान श्रीराम को अपना भाई मानते हैं और रक्षाबंधन को राखी भेजती हैं। जिसे रामलला को बांध दिया जाता है।रक्षाबंधन की परंपरा बहुत पुरानी :- सत्येंद्र दास ने बताते हैं कि, रक्षाबंधन की परंपरा बहुत ही पुरानी है। भगवान श्रीराम के अवतार से पहले भगवान वामन का अवतार हुआ था।जहां से इस परंपरा की शुरुआत हुई।भगवान राम की बहन कौन हैं?अब आप संशय में होंगे भगवान राम की बहन के बारे में अधिक नहीं सुना है।कौन हैं भगवान श्रीराम की बहन।इस संबंध मे पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि पुराणों में वर्णित है कि भगवान दशरथ की एक पुत्री शांता थी। कौशल्या की बहन वर्षिणी और उनके पति अंगदेश में राजा रोमपाद की कोई संतान नहीं थी। दशरथ और कौशल्या ने शांता को उन्हें गोद दे दिया था। बाद में, राजा रोमपाद ने श्रंगी ऋषि से उनका विवाह कराया था। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू और कर्नाटक के श्रंगेरी में श्रंगी ऋषि और शांता के मंदिर हैं। श्रंगेरी शहर का नाम श्रंगी ऋषि के नाम पर ही है।वही सत्येंद्र दास ने बताया, श्रृंगीऋषि आश्रम से शांता प्रत्येक वर्ष अपने भाई राम लक्ष्मण भरत व शत्रुहन को रक्षासूत्र बांधने अयोध्या आती थी।आज भी इस परंपरा का निर्वाह किया जाता हैं। प्रत्येक वर्ष हिमाचल के तमसा नदी के घाट स्थित श्रृंगीऋषि के आश्रम से रक्षाबंधन आता है। जिसे शांता के प्रतीकात्मक रूप में रक्षाबंधन को बांधा जाता है।राम की बहन के सिर्फ दो मंदिर है।राम की बड़ी बहन शांता के देश में दो मंदिर हैं।एक हिमाचल के कुल्लू से 50 किमी दूर शृंग ऋषि के मंदिर में शांता की पूजा होती है व दूसरा कर्नाटक के श्रंगेरी में श्रंगी ऋषि और शांता के मंदिर हैं।

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