काशी के बभनियांव में प्राचीन शिवमंदिर: खोदाई में मिला अंजन सलाका और लटकन, 2500 साल पहले महिलाएं करतीं थीं उपयोग

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वाराणसी के बभनियांव में प्राचीन शिवमंदिर के पास चल रही खोदाई में गुरुवार को बुद्धकालीन यानि 2500 साल पहले प्रयुक्त होने वाला अंजन सलाका मिला है। इसका प्रयोग उस समय महिलाएं आंखों में सूरमा लगाने के काम में करती थीं। बीएचयू के प्राचीन इतिहास विभाग की ओर से बभनियांव में इस समय तीन अलग-अलग जगहों पर खोदाई का काम चल रहा है।

प्रो. अशोक कुमार सिंह ने बताया कि इसमें एक जगह से हाथी के दांत का बना लटकन मिला है। जिसे उस समय महिलाएं पहनती थी। इसके अलावा काले, धूसर एवं चमकीले लाल प्रकार के बर्तनों के टुकड़े भी मिले। मंदिर की खत्ती में संरचनाओं की रिकॉर्डिंग और फोटोग्राफी का कार्य चलता रहा।

शिव मंदिर में जल निकासी के लिए नाली की भी मिली जानकारी
बभनियांव में चल रही खोदाई में बीते मंगलवार को 1800 साल पहले की पकी मिट्टी के मुद्रांक मिले हैं। इस पर नंदी की आकृति के साथ ब्राह्मी लिपि में कुछ लिखा है। इसका अध्ययन करने में बीएचयू के साथ ही मैसूर और ग्वालियर के लिपि विशेषज्ञ जुटे हैं। वहीं यहां शिवमंदिर परिसर में चल रहे पुरा स्थल पर खोदाई में जलनिकासी की समुचित व्यवस्था के लिए पत्थर की नाली के भी प्रमाण मिले हैं।

प्रो. अशोक कुमार सिंह ने बताया कि बभनियांव  में तीन जगहों पर खोदाई चल रही है। शिवमंदिर के पश्चिम की ओर 1800 वर्ष पूर्व की एक नंदी की बनी आकृति वाली मुद्रांक (सीलिंग)मिली है, जिसमें ब्राह्मी लिपि में लिखे कुछ अक्षर दिख रहे हैं।

जिसे मैसूर से प्रो. मुनी रत्नम, जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर के प्रो. अरविंद सिंह और बीएचयू में लिपि विशेषज्ञ प्रो. सीताराम दुबे प्रो. सुमन जैन मुद्रांक से संबंध के बारे में अध्ययन कर रहे हैं। इसके अलावा शिवमंदिर परिसर में प्रदक्षिणा पथ से मिट्टी के बने खपरैल के टुकड़े मिले हैं। जो कि दो हजार साल पुराने हैं।

संभावना है की इन खपरैलों का प्रयोग प्रदक्षिणा के छाजन के रूप में किया गया होगा। मुख्य खत्ती में एकमुखी शिवलिंग के उत्तर तरफ मिले प्रणाल के आगे की खुदाई में पत्थर के एक अन्य प्रणाल के प्रमाण मिले। उन्होंने बताया कि मुख्य प्रणाल के आगे एक टंकी बनाई गई थी जो ध्वस्त हो गई है।

टंकी (चैंबर) बनाने का प्रयोजन यह रहा होगा कि जो पूजन सामग्रियां शिवलिंग पर चढ़ाई जाती हो वह दीवार में बनी नाली में फंसने न पाए। सिर्फ पानी या तरल चढ़ावा ही नाली में जाए। जिस तरह से मंदिर के गर्भ गृह से महत्वपूर्ण प्रमाण मिल रहे हैं, उससे स्पष्ट हो गया है कि मंदिर के स्थापत्य में महत्वपूर्ण नवीन आयाम जुड़ सकते हैं।

बभनियांव में मिले शुंग कुषाणकालीन मिट्टी के बर्तन

बभनियांव में चल रही खोदाई में शुंगकुषाणकालीन मिट्टी के बर्तन और तांबे का बना सुरमा लगाने वाला पात्र भी मिला है। इसके अलावा गांव के ही बगीचे से मध्यकालीन पत्थर अभिलेख भी मिला है, जिस पर नागरी लिपि में लिखा है, यह मध्यकालीन बताया जा रहा है।

पिछले महीने बीस फरवरी से बीएचयू के प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष प्रो. ओएन सिंह के निर्देशन में कराई जा रही खोदाई में हर दिन महत्वपूर्ण पुरावशेष मिल रहे हैं। प्रो. अशोक सिंह ने बताया कि बगीचे से जो प्रस्तर अभिलेख मिला है, उसमें नागरी लिपि में पांच पंक्तियों में लेख लिखा है।यह मध्यकालीन प्रतीत हो रहा है।

अभिलेख को पढ़ने का प्रयास लिपि विशेषज्ञों द्वारा किया जा रहा है। इसके अलावा खत्ती संख्या 03 में जिसमें शुंग शुंगकुषाणकालीन मिट्टी के बर्तन और पुरावशेष मिल रहे थे, वहां भी खोदाई कराई गई। इस दौरान बड़ी मात्रा में इस काल क़े मिट्टी के बर्तन मिले हैं। इसमें लाल एवं धुसर प्रकार के मिट्टी के बर्तन (कटोरे, ढक्कन, तसले, स्प्रिंकलर, बोतलनुमा बर्तन और घड़े़) मिले हैं। प्रो. ओंकारनाथ सिंह और प्रो. अशोक कुमार सिंह ने बताया कि बुधवार को मिला अभिलेख बभनियांव के परवर्ती काल को समझने में काफी सहायक होगा।

इसके अलावा मंदिर के प्रदक्षिणा पथ के नीचे हो रही खोदाई में मंदिर से निचले स्तर में शुंग कालीन (200  ईसा पूर्व)  पकी ईंटों की संरचनाएं मिली थीं। इन संरचनाओं का मंदिर से कोई संबंध था या नहीं। इस बात का पता लगाया जा रहा है।

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