प्रशिक्षण से संगिनियों तथा आशा को कार्य योजना बनाने, सहयोगात्मक पर्यवेक्षण करने में सहयोग मिलेगा

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मास्टर ट्रेनर तैयार करने के लिए संगिनियों और बीसीपीएम को दिया प्रशिक्षण

-प्रशिक्षण से संगिनियों तथा आशा को कार्य योजना बनाने, सहयोगात्मक पर्यवेक्षण करने में सहयोग मिलेगा

जौनपुर, 16/03/2022

मास्टर ट्रेनर के रूप में तैयार करने के उद्देश्य से मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय सभागार में बुधवार को आशा संगिनियों और ब्लॉक सामुदायिक प्रक्रिया प्रबंधक (बीसीपीएम) को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण सत्र में मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) डॉ लक्ष्मी सिंह ने कहा कि इस प्रशिक्षण से आशा संगिनियां तथा आशा तकनीकी दक्ष हो सकेंगी। उन्हें कार्य योजना बनाने, सहयोगात्मक पर्यवेक्षण करने तथा संवाद परामर्श कौशल सुदृढ़ करने में सहयोग मिलेगा।

उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य योजनाओं के गुणवत्तापूर्ण क्रियान्वयन तथा आशा कार्यकर्ताओं के नियमित सहयोगात्मक पर्यवेक्षण के लिए ब्लॉक स्तर पर कलस्टर बैठक होती है। इस प्रशिक्षण के बाद आशा संगिनियां स्वयं अपने आशा कार्यकर्ताओं का क्षमतावर्धन कर सकेंगी। इससे उनके कार्यों की गुणवत्ता में सुधार होगा तथा सरकार की योजनाओं को आमलोगों तक पहुंचाने में लाभ मिलेगा।

प्रशिक्षण के दौरान उन्हें गर्भवती की प्रसव पूर्व (एएनसी) एवं प्रसव पश्चात (पीएनसी) देखभाल, शिशु स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस, प्रशिक्षण कौशल आदि विषयों की जानकारी दी गई। इस दौरान संगिनियों ने भी प्रशिक्षण के दौरान मिली जानकारियों के व्यवहारिक उपयोग का प्रस्तुतिकरण दिया।

प्रशिक्षण को सफलतापूर्वक संचालित करने के लिए राज्य स्तर से टीएसयू के कम्युनिटी प्रोसेस के स्टेट स्पेशलिस्ट बृजेश त्रिपाठी ने कहा कि उच्च जोखिम गर्भवती (एचआरपी) की जल्दी पहचान कर उन्हें चिकित्सकीय परामर्श दिलाकर मातृ मृत्यु दर कम की जा सकती है। उन्होंने बताया कि उच्च जोखिम गर्भवती की जटिलताओं को तीन वर्गों में बांटा गया है।

1-गर्भवती की पूर्व गर्भावस्था या पूर्व प्रसव के इतिहास के आधार पर

2-गर्भवती को पहले कोई बीमारी हो तो उसके आधार पर

3-वर्तमान गर्भावस्था में जांच के आधार पर

इन तीनों स्थितियों के आधार पर उच्च जोखिम गर्भवती की पहचान कर तुरंत चिकित्सकीय सुविधा देकर बहुत हद तक मातृ मृत्यु रोकी जा सकती है। इसमें आशा कार्यकर्ताओं तथा आशा संगिनियों की महत्वपूर्ण भूमिका है।

उन्होंने बताया कि बच्चों को 12 जानलेवा बीमारियों से बचाव के लिए ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस (वीएचएसएनडी) सत्र के दौरान बच्चों एवं गर्भवतियों को टीके लगाए जाते है। यह टीके टिटनेस, गलाघोंटू, कालीखांसी, वायरल निमोनिया, बैक्टीरियल निमोनिया, दस्त रोग (डायरिया), हेपेटाइटिस, टीबी, पोलियो, चेचक (खसरा), रुबेला, जापानी मस्तिष्क ज्वर से बच्चों एवं गर्भवतियों का बचाव करते हैं। इस सत्र को आयोजित करने में आशा कार्यकर्ता और संगिनियां सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वह ही बच्चों की ड्यूलिस्ट तैयार कर सत्र के दिन, सत्र स्थल पर लाभार्थियों को बुलाकर टीकाकरण कराना सुनिश्चित कराती हैं। संगिनियों को ड्यूलिस्ट बनाने की प्रक्रिया, टीका से छूटे बच्चों को कहां-कहां और कैसे खोजा जाए सहित अन्य विषयों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गई।

परिवार नियोजन सत्र में संगिनियों ने स्वयं प्रस्तुतिकरण देकर परिवार नियोजन के साधनों जैसे अंतरा, छाया, ओरल पिल्स, कंडोम आदि के बारे में जानकारी दी। बताया कि योग्य दम्पतियों तक हम कैसे परिवार कल्याण की सुविधाएं पहुंचाते है। प्रशिक्षण के तीसरे और अंतिम दिन बुधवार को सीएमओ डॉ लक्ष्मी सिंह ने प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण सर्टीफिकेट प्रदान किया।

प्रशिक्षण कार्यक्रम को एसीएमओ डॉ सत्य नारायण हरिश्चंद्र, जिला कार्यक्रम प्रबंधक (डीपीएम) सत्यव्रत त्रिपाठी, जिला सामुदायिक प्रक्रिया प्रबंधक (डीसीएम) मोहम्मद खुबैब रजा, कम्युनिटी आउटरीच के डिस्ट्रिक्ट स्पेशलिस्ट फणीन्द्रमणि जायसवाल आदि ने भी संबोधित किया।

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