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जौनपुर दिव्य प्रेम सेवा मिशन हरिद्वार के संस्थापक डा आशीष गौतम भइया जी रविवार को जौनपुर में प्रवास पर आये हुए है। उन्होने आज अपने सेवा मिशन के जिलाध्यक्ष राकेश कुमार श्रीवास्तव के मियांपुर आवास पर अपने मिशन के लोगो से मुलाकात किया। इससे पूर्व उनका मिशन के जिला अध्यक्ष राकेश श्रीवास्तव द्वारा टीका लगाकर व बुके देकर स्वागत किया गया। देर शाम पत्रकारो से बातचीत में डॉ गौतम ने बताया कि उनकी संस्था का बस एक ही मिशन है कि कुष्ठ रोगियों की सेवा करना और उनके बच्चों को भी पढ़ा लिखाकर समाज की मुख्य धारा में जोड़ना है। उन्होने बताया कि अब तक हजारो रोगियों का इलाज करके ठीक किया गया है तथा उनके बच्चो की अच्छी तरह से परवरिश करके पढ़ाया लिखाकर समाज की मुख्य धारा से जोड़ा गया है। देश के 14 प्रांतों बिहार पंजाब हरियाणा उत्तर प्रदेश उत्तराखंड नैनीताल के बच्चे मिशन के हरिद्वार स्थित है आश्रम में है हमारी संस्था में पूरे देश के विभिन्न प्रांतों से लोग जुड़े हुए हैं हमारा मुख्य उद्देश्य कुष्ठ रोगी की सेवा करना साथ ही उनके बच्चों की परवरिश करना उन्हें स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र में भी आगे ले जाना मेरा प्रमुख कार्य है मैं भी हरिद्वार घूमने के उद्देश्य से गया था लेकिन वहां झुग्गी झोपड़ियों में इनको देखकर मैं इस सेवा में जुड़ गया। देश के चार प्रमुख तीर्थ स्थलों में भी आश्रम के लोगों द्वारा स्वास्थ्य कैंप लगाया जा रहा है। जिससे कि इधर के लोगों को जाने पर वहां किसी प्रकार की स्वास्थ्य की समस्या न हो साथ ही इन जगहों पर तीर्थ यात्रा के लिए गए लोगों को फ्री में भोजन और रहने के लिए आवास की व्यवस्था करना भी मेरे मिशन में शामिल है। जिसके लिए मैं प्रयासरत हूं।
डा0 आशीष ने बताया कि अब उनका मिशन उत्तराखण्ड जाने वाले तीर्थ यात्रियों को निःशुल्क खाने पीने, ठहरने व स्वास्थ्य सुविधाए मुहैया कराने के लिए चल रह है। उन्होने बताया कि हमारी संस्था ने हर जगह डाक्टरो की तैनाती कर दिया गया है लेकिन नर्सिगं स्टाफ की कमी है जल्द ही वह पूरा कर लिया जायेगा।
डा0 आशीष गौतम ने बताया कि हमारी संस्था 25 वर्ष की हो गयी है। इन वर्षो हजारो कुष्ठ रोगियों की सेवा किया गया तथा उनके बच्चों की अच्छी तरह परवरिश करके पढ़ा लिखाकर समाज की मुख्य की धारा जोड़ा गया है।
एक घटना का जिक्र करते हुए बताया कि हरिद्वार में गंगा के किनारे एक भिच्छा मांगने वाली महिला मर गयी थी उसके दो छोटे बच्चे उसके शव के साथ खेल रहे थे। स्थानीय लोगो ने उसका अंतिम संस्कार कर दिया तथा उसके दोनो बेटो को मेरे पास छोड़ गये। मैने दोनो बेटो को पढ़ाया। आज एक बेटा मारिसस से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है दूसरा चाइना में योग सिखा रहा है।