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पाकिस्तान के सिंध प्रांत में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी के बीच पानी को लेकर हाहाकार मच गया है। सिंध में आपदा जैसे हालात पैदा हो गए हैं। प्रचंड गर्मी ने कई लोगों की जान ले ली है।
पाकिस्तान में चिलचिलाती गर्मी के बीच पानी के बंटवारे को लेकर अंतर-प्रांतीय विवाद भी बढ़ गए हैं। पाकिस्तानी अखबार ‘डॉन’ के अनुसार सिंध चैंबर ऑफ एग्रीकल्चर (एससीए) ने पाकिस्तान सरकार से सिंध प्रांत को ‘आपदा प्रभावित’ घोषित करने की मांग की है। उन्होंने सिंध में पानी की भारी कमी पर चिंता व्यक्त की है।
किसानों के कर्ज माफ करने की मांग
रविवार को एससीए की एक बैठक में मांग की गई कि 16 एकड़ तक के छोटे किसानों के कर्ज माफ किए जाएं। उन्होंने पानी के प्रवाह में कमी की भी जांच की मांग की। सिंध के कार्यकर्ताओं ने रविवार को स्थानीय प्रेस क्लब के बाहर पानी की निरंतर कमी के विरोध में प्रदर्शन किया।
उधर, सिंध यूनाइटेड पार्टी (एसयूपी) के नेता रोशन अली बुरिरो ने कहा कि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) अब संघीय सरकार में सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा है, फिर भी पंजाब से सिंध का पानी नहीं मिल पा रहा है। एसयूपी नेता के अनुसार सिंधु नदी के पानी और सिंध के हिस्से के पानी की लूट चश्मा-झेलम लिंक नहर और थाल नहर के माध्यम से की जा रही थी, लेकिन पीपीपी सरकार इस पर आपराधिक रूप से मौन थी।
बुरिरो ने दावा किया कि सिंध में खेती व पीने के पानी की किल्लत के लिए पीपीपी सरकार जिम्मेदार है। आम लोगों को जहां बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं, वहीं धनी जमींदार अवैध तरीकों से नहरों से पानी पा रहे हैं। पीपीपी के राजनीतिक विरोधी व किसान पानी से वंचित रखे जा रहे हैं।
70 फीसदी छोटे शहरों व कस्बों में जलसंकट
उन्होंने कहा कि सिंध के 70 फीसदी छोटे शहर व कस्बे पानी के लिए इंतजार कर रहे हैं। सिंध में पीपीपी 30 साल से सत्ता में है, इसके बाद भी वह प्रांतवासियों को पानी मुहैया नहीं करा पा रही है।