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नेपाल आईं अमेरिका की नागरिक सुरक्षा, लोकतंत्र, और मानव अधिकार उप मंत्री उजरा जेया की यहां तिब्बती शरणार्थियों से मुलाकात से नेपाल सरकार असमंजस में है। जेया जो बाइडन प्रशासन में तिब्बती मामलों की प्रभारी भी हैं। पिछले हफ्ते उन्होंने यहां तिब्बती शरणार्थियों के नेताओं से मुलाकात की। इसके पहले जेया ने भारत की यात्रा की, जहां धर्मशाला में जाकर उन्होंने तिब्बती नेता दलाई लामा से मुलाकात की। जेया की इस यात्रा को तिब्बत के मुद्दे पर चीन पर दबाव बढ़ाने की अमेरिकी रणनीति का हिस्सा समझा जा रहा है।
अखबार काठमांडू पोस्ट ने सुरक्षा अधिकारियों के हवाले से बताया है कि जेया की शनिवार को ज्वालाखेल में तिब्बती शरणार्थी नेताओं से बातचीत हुई। ये मुलाकात एक घंटे से ज्यादा समय तक चली। ज्वालाखेल स्थित तिब्बती कैंप जाने से पहले जेया ने कुछ मानवाधिकार कार्यकर्ताओं से भेंट की और उनसे तिब्बती शरणार्थियों से जुड़े मसलों पर जानकारी हासिल की। शनिवार शाम को वे बौद्ध क्षेत्र में गईं, जहां बड़ी संख्या में तिब्बती शरणार्थी रहते हैं।
चीन से नेपाल ने किया है ये वादा
एक तिब्बती शरणार्थी नेता के हवाले से काठमांडू पोस्ट ने बताया है कि नेपाल यात्रा खत्म करने के पहले ज़ेया ने काठमांडू में कई तिब्बती शिविरों का दौरा किया। एक शरणार्थी नेता ने इस अखबार से कहा- ‘हमने मुख्य रूप से उन समस्याओं की जानकारी उन्हें दी, जिनका सामना हमें यहां दस्तावेजों और पहचान पत्र के अभाव में करना पड़ता है।’
शुक्रवार को अपनी नियमित प्रेस ब्रीफिंग में नेपाल के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सेवा लामसल ने इस बात की जानकारी होने से इनकार किया था कि उज़रा ज़ेया का काठमांडू में तिब्बती शरणार्थियों से मिलने का कोई कार्यक्रम है। शनिवार और रविवार को भी इस बारे में नेपाल सरकार की तरफ से कोई टिप्पणी नहीं की गई। विश्लेषकों के मुताबिक तिब्बतियों के मामले में नेपाल सरकार हमेशा ही चीन की चिंताओं को लेकर संवेदनशील रही है। उसने बार-बार कहा है कि वह किसी को नेपाल की जमीन का इस्तेमाल चीन विरोधी गतिविधि के लिए नहीं करने देगी। इसीलिए ताजा घटना पर नेपाल सरकार की चुप्पी को उसकी दुविधा का संकेत समझा जा रहा है।
उजरा ने नहीं किया नेपाल सरकार की इच्छा का सम्मान
हाल में नेपाल की नीति में अमेरिका की तरफ स्पष्ट झुकाव आया है। अमेरिकी संस्था मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन से 50 करोड़ डॉलर की मदद स्वीकार करने के बाद नेपाल की मौजूदा शेर बहादुर देउबा सरकार ने यूक्रेन युद्ध के मामले में अमेरिकी रुख के अनुरूप नीति अपनाई। ज़ेया की नेपाल यात्रा और यहां तिब्बतियों से उनकी मुलाकात को इसी सिलसिले से जोड़ कर देखा जा रहा है। पर्यवेक्षकों ने कहा है कि इस यात्रा पर अवश्य ही चीन का ध्यान रहा होगा।
सरकारी सूत्रों ने काठमांडू पोस्ट से कहा है कि अमेरिकी पक्ष को पहले ही नेपाल सरकार ने संदेश दिया था कि वह यहां तिब्बत का मसला ना उठाए। लेकिन संभवतया उजरा जेया ने नेपाल सरकार की इच्छा का सम्मान नहीं किया। तिब्बतियों से उनकी मुलाकात के बारे में नेपाल के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता मणि पोखारेल ने कहा- मैंने मुलाकात के बारे में सुना है। लेकिन आधिकारिक रूप से सुरक्षा एजेंसियों ने कोई सूचना नहीं दी, क्योंकि शनिवार को सार्वजनिक छुट्टी थी।