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जौनपुर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) मुफ्तीगंज पर चिकित्सा अधीक्षक डॉ श्रवण कुमार यादव की अध्यक्षता में बच्चों के जन्मजात टेढ़े-मेढ़े पंजों (क्लबफुट) का इलाज करने के बारे में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित हुआ। इसमें सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ), एएनएम, आशा कार्यकर्ता और संगिनी की क्लबफुट से संबंधित जिज्ञासाओं का समाधान किया गया। उन्हें बताया गया कि ऐसी स्थिति में उन्हें कहां और कैसे इलाज मिल सकेगा।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के डिस्ट्रिक्ट अर्ली इनटरवेंशन सेंटर (डीईआईसी) प्रबंधक अमित कुमार गौड़ ने बताया कि बच्चों में क्लबफुट की समस्या का समाधान करने के लिए मिरेकल फीट संस्था काम कर रही है। मिरेकल फीट ऐसे बच्चों के उपचार के लिए आरबीएसके तथा एनएचएम के साथ साझेदारी में काम करती है। मिरेकल फीट से मिलने वाली सुविधाओं का फायदा उठाने के लिए प्रभावित बच्चों की जल्द से जल्द पहचान कर इलाज के लिए लाना जरूरी है। प्रभावित बच्चे के लिए फूट ब्रेसेज सहित पूरी चिकित्सा सुविधा नि:शुल्क है। हर शुक्रवार को जिला अस्पताल के हड्डी विभाग कमरा नम्बर 10 मेंं मिरेकल फीट की नि:शुल्क सुविधाओं का लाभ उठाया जा सकता है। इसके तहत दो वर्ष तक के ही बच्चों को नि:शुल्क उपचार की सुविधा मिलती है। उन्होंने क्लब फुट प्रभावित बच्चों की सुविधा के लिए मिरेकल फीट की प्रोग्राम एक्जीक्यूटिव अंकिता श्रीवास्तव का मोबाइल नम्बर 7208820488 भी जारी किया।
मिरेकल फीट्स के ब्रांच मैनेजर भूपेश सिंह ने बताया कि क्लबफुट एक जन्मजात विकृति है जिसमें बच्चों के पैर अंदर की ओर मुड़ जाते हैं। प्रभावित बच्चों का पौनसेटी विधि से बहुत आसानी से इलाज हो जाता है। इसके तहत प्रभावित बच्चे को कास्टिंग, टेनोटामी और फिर ब्रेसिंग की प्रक्रिया से गुजारा जाता है। क्लब फुट के इलाज के लिए पौनसेटी विधि के तहत प्लास्टर लगाया जाता है जिसे हर सप्ताह बदला जाता है। इस तरह से बच्चे को पांंच से छह प्लास्टर लगते हैं। पौनसेटी विधि पूरी हो जाने पर क्लब फूट क्लीनिक ले जाया जाता है जहां डॉक्टर एड़ी के एक हिस्से (एकेलीज टेंंडान) में मामूली कट लगाते हैं। टेडान काटने से पंजा ऊपर-नीचे हरकत करने लायक हो जाता है। इस कार्य विधि के दौरान पंजे पर एक बार तीन सप्ताह के लिए प्लास्टर चढ़ाते हैं। इसके बाद पंजे को सही स्थिति में रखने के लिए ब्रेसेज (दो जूतों वाली छड़) का उपयोग करते हैं। ब्रेस तीन महीने तक दिन-रात पहननी होती है। तीन महीने बाद सिर्फ सोते समय पहनना होता है। पंजे वापस अंदर की ओर न मुड़ने पाएं इसलिए बच्चे को तीन से पांच साल का होने तक ब्रेस पहनना होता है।
मिरेकल फीट की प्रोग्राम एक्जीक्यूटिव अंकिता श्रीवास्तव ने बताया कि फुट ब्रेसेस सहित पूरी चिकित्सा नि:शुल्क की जाती है। जौनपुर में वर्ष 2019 में क्लबफुट क्लीनिक की शुरुआत हुई। अभी तक 81 बच्चों का पंजीकरण हुआ है जिसमें से 14 बच्चों को प्लास्टर चलाया जा रहा है। प्लास्टर के बाद बच्चों को जूते मिल जाते हैं और पांच वर्ष तक उसका फॉलोअप लिया जाता है। इस दौरान उन्हें डॉक्टर को समय से दिखाया जाता है और उनके परामर्श के अनुसार सेवाएं दी जाती हैं। मिरेकल फीट पूरे उपचार के दौरान पैर के लिए फ्री ब्रेसेस देती है। वह स्वयं ही उपचार प्रोटोकॉल और जागरूकता सामग्री के बारे में जानकारी देने के साथ-साथ परामर्श भी देती हैं। जिला अस्पताल में मिरेकल फीट की साप्ताहिक क्लबफुट क्लिनिक प्रत्येक शुक्रवार को सुबह नौ बजे से दोपहर दो बजे तक संचालित होती है। कार्यक्रम को ब्लॉक कार्यक्रम प्रबंधक (बीपीएम) अखिलेश कुमार ने भी संबोधित किया।