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भारत प्रशांत क्षेत्र से जुड़े सुरक्षा मामलों व परस्पर सहयोग गहरा करने के इरादे से अमेरिका के सहायक रक्षा मंत्री डॉ एली रैटनर इसी सप्ताह भारत व वियतनाम का दौरा करेंगे। इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती दादागीरी से निपटने के लिए अमेरिका व उसके सहयोगी लगातार भागीदारी बढ़ा रहे हैं।
रैटनर की यह यात्रा भारत-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका व उसके सहयोगी देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करने के लिए हो रही है। अमेरिकी रक्षा विभाग के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल मार्टिन मैनर्स ने यह जानकारी दी।
मैनर्स ने बताया कि दिल्ली में रैटनर भारत और अमेरिका के बीच समुद्री सुरक्षा को लेकर 2+2 अंतरसत्रीय वार्ता में शामिल होंगे। इसके अलावा वे समुद्री सुरक्षा पर वार्ता की सह अध्यक्षता भी करेंगे। उनके साथ दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू भी मौजूद रहेंगे।
इन संवादों के माध्यम से अमेरिका और भारत अगले साल होने वाली मंत्रिस्तरीय वार्ता से पहले रक्षा साझेदारी में पहल के महत्वाकांक्षी चरण को आगे बढ़ाएंगे। इसमें सूचना साझाकरण, रसद आपूर्ति, प्रौद्योगिकी और नौसेना सहयोग का समर्थन शामिल है।
भारत और अमेरिका के बीच समुद्री सुरक्षा को लेकर 2+2 अंतरसत्रीय वार्ता पांच से आठ सितंबर तक चलेगी। अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने बैठक की जानकारी देते हुए बताया कि बातचीत का मकसद दोनों देशों के बीच व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को गहरा करना है।
अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों के साथ इस बात पर चर्चा करेगा कि कैसे अमेरिका और भारत एक स्वतंत्रए खुले, समृद्ध, लचीले और सुरक्षित हिंद.प्रशांत क्षेत्र का समर्थन करने के लिए सहयोग का विस्तार कर सकते हैं।
इसके अलावा लू अमेरिका.भारत के बीच महिला उद्यमियों के आर्थिक सशक्तीकरण गठबंधन के तहत एक कार्यक्रम में भी शामिल होंगे। इसका उद्देश्य कार्यबल में महिलाओं की सार्थक भागीदारी बढ़ाकर उन्हें आर्थिक सुरक्षा देना है। वहींए कारोबारियों के साथ एक गोलमेज बैठक में आने वाले 25 वर्ष के दौरान भारत के आर्थिक विकास को इसकी संभावनाओं के शीर्ष तक ले जाने पर चर्चा होगीए ताकि भारत वैश्विक आपूर्ति शृंखला का केंद्र बन सके।
गौरतलब है कि भारत जो बाइडन प्रशासन की हिंद-प्रशांत रणनीति का केंद्र बिंदु है। भारतीय विदेश और रक्षा मंत्रियों ने हाल ही में अपने अमेरिकी समकक्षों के साथ 2+2 बैठक की थी। भारत-अमेरिका के बीच द्विपक्षीय साझेदारी में आज कोविड-19 की प्रतिक्रियाए महामारी के बाद आर्थिक सुधार, जलवायु संकट और सतत विकासए महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियां, आपूर्ति श्रृंखला में लचीलापन, शिक्षा, प्रवासी रक्षा और सुरक्षा सहित कई मुद्दों को शामिल किया गया है।