Getting your Trinity Audio player ready...
|
यूरोप, अमेरिका और अफ्रीका के कई नेताओं ने रूस-यूक्रेन युद्ध और जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते वैश्विक खाद्य संकट के समाधान पर जोर दिया। उन्होंने कहा, खाद्य सुरक्षा के संबंध में तत्काल कार्रवाई की जाए और कोष मुहैया कराने की जरूरत पर काम किया जाए।
इन नेताओं ने आगाह किया कि आगामी दिनों में स्थिति और खराब हो सकती है। संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में वैश्विक खाद्य सुरक्षा सम्मेलन से इतर यूरोप, अमेरिका और अफ्रीका के कई नेताओं ने यूक्रेन युद्ध खत्म करने की मांग की और इसे बेवजह की ‘आक्रामकता’ बताया। स्पेन के प्रधानमंत्री पेद्रो सांचेज ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर यूक्रेन के अनाज के निर्यात में बाधा डालकर दुनिया को भूख के मुद्दे पर ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया। पिछले सप्ताह संयुक्त राष्ट्र के खाद्य प्रमुख ने आगाह किया था कि दुनिया ‘वैश्विक आपातकाल’ का सामना कर रही है, क्योंकि करीब 34.5 करोड़ लोगों पर भुखमरी का संकट मंडरा रहा है और 70 करोड़ लोग यूक्रेन युद्ध के कारण भुखमरी के कगार पर हैं।
बाइडन उठा सकते हैं सुरक्षा परिषद में सुधार का मुद्दा
राष्ट्रपति जो बाइडन संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के वार्षिक सत्र में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार का मुद्दा उठा सकते हैं। राष्ट्रपति के सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने यह जानकारी दी। अमेरिका ने सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का कई बार समर्थन किया है।
हालांकि सुलिवन ने सुरक्षा परिषद में रूस की स्थायी सदस्यता से जुड़े प्रश्नों पर कोई जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा, ये ऐसी चीज नहीं है जिसे बाइडन उठाने वाले हैं। मेरा मानना है कि दुनिया देख सकती है कि जब कोई स्थायी सदस्य इस तरह से कार्रवाई करता है तो उससे सुरक्षा परिषद की अंतररात्मा चोटिल होती है। सभी को मिलकर मॉस्को पर रुख बदलने के लिए दबाव बनाना चाहिए। उन्होंने कहा, उम्मीद है कि राष्ट्रपति यूएनएससी में सुधार पर प्रमुखता से चर्चा करेंगे, फिर चाहे वह इसे सार्वजनिक तौर पर करें या संयुक्त राष्ट्र महासचिव के साथ अकेले में, हम इस पर काम कर रहे हैं।
जापान के प्रधानमंत्री ने भी की सुधार की वकालत
जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने इस बात पर निराशा जाहिर की कि सुरक्षा परिषद रूस के पास वीटो की शक्ति होने की वजह से रूस के यूक्रेन पर हमले को लेकर कुछ नहीं कर सका। जापानी प्रधानमंत्री ने यूएनएससी में सुधार की मांग की, ताकि विश्व निकाय विश्व शांति और व्यवस्था का बेहतर तरीके से बचाव कर सके। किशिदा ने कहा, यूएन की वैश्विक शांति व्यवस्था में अहम भूमिका है लेकिन फिलहाल इसकी नींव बुरी तरह हिल गई है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में सुधारों की दिशा में कदम उठाने की जरूरत पर बल दिया।
यूएन में अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर पाकिस्तान को लताड़ा
यूएनईएस के संयुक्त सचिव श्रीनीवास गोटरू ने संयुक्त राष्ट्र की बैठक में अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर कहा कि “यह विडंबना है कि पाकिस्तान अल्पसंख्यकों के अधिकारों के बारे में बात कर रहा है … इसका अल्पसंख्यक अधिकारों के गंभीर उल्लंघन का लंबा इतिहास रहा है, जिसे दुनिया ने हमेशा देखा है … इसने अपने देश में अल्पसंख्यकों को तबाह कर दिया है।
गोटरू ने कहा कि “पाकिस्तान लगातार सिखों, हिंदुओं, ईसाइयों और अहमदियों के अधिकारों का घोर उल्लंघन कर रहा है। पाकिस्तान में हजारों महिलाओं और बच्चों, विशेष रूप से अल्पसंख्यक समुदायों की लड़कियों को अपहरण, जबरन विवाह और धर्म परिवर्तन का शिकार बनाया गया।” उन्होंने कहा कि “केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख संपूर्ण रूप से हमेशा भारत का एक अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा थे, पाक का प्रतिनिधि चाहे जो भी माने या दावा करे। हम पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद को रोकने का आह्वान करते हैं ताकि हमारे नागरिक अपने जीवन और आजादी के अधिकार का प्रयोग कर सकें।”