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ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय
लखनऊ। श्रीमद्भागवत गीता के प्रत्येक श्लोक में ज्ञान का अनूठा प्रकाश है। मानव की इस अत्कृष्टतम आचार संहिता की विशिष्टता यह है कि शांति का संदेश युद्ध की भूमि में दिया गया है। कुरूक्षेत्र के युद्ध के मैदान में श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच हुई वार्तालाप से भगवदगीता का जन्म हुआ और तब से मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गीता जयंती के रूप में मनाया जाने लगा। इसी विशेष अवसर पर एसकेडी एकेडमी की सभी शाखाओं में विशेष तौर पर वृन्दावन योजना स्थित शाखा में गीता जयंती को धूमधाम से मनाया गया। गीता पाठ तथा विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों के अलावा भण्डारे का आयोजन भी किया गया। साथ ही सभी शाखाओं के बच्चों ने नेवी डे मनाया जिसमें उन्होंने नेवी के जवानों के बलिदान एवं साहस के लिए उनको नमन किया एवं देष के प्रथम राष्ट्रपति डा0 राजेन्द्र प्रसाद के जयन्ती पर उनको नमन कर श्रृद्धा सुमन अर्पित किया।
इस अवसर पर एसकेडी एकेडमी के निदेशक महोदय मनीष सिंह जी ने गीता की सार्थकता को बताते हुए कहा कि गीता ही एक मात्र ऐसा ग्रंथ है जिसकी जयंती मनाई जाती है क्योंकि यह हमें जीवन की प्रत्येक परिस्थितियों से लड़ने व जीतने का मार्ग बताती है, गीता में जीवन को जीने का कला प्रबंधन तथा सत्कर्म सब कुछ निहित है। यह व्यवहारिकतावाद पर आधारित है उन्होंने सभी से यह भी अनुरोध किया कि प्रत्येक व्यक्ति को गीता को पढ़कर उसे आत्मसात करना चाहिए जिससे हरकोई एक उत्तम जीवन जीने की कला को सीखे तथा उन्होंने नेवी के जवानों को विकट परिस्थितियों में धैर्य एवं अदम्य साहस के लिए उनको सलूट किया तथा डा0 राजेन्द्र प्रसाद के जीवन के बारे अपने विचारों को भी छात्रों से साथ साझा किया।