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रिपोर्ट-जनार्दन श्रीवास्तव
पाली-हरदोई 14 अप्रैल 1891 महू मध्यप्रदेश में जन्में राष्ट्र के संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर की 132 वीं जयंती गुरुवार को नगर के सेठ बाबूराम भारतीय इण्टर कालेज में 14 अप्रैल को सार्वजनिक अवकाश घोषित होने के
कारण एक दिन पूर्व अर्थात 13 अप्रैल को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई गई।सर्वप्रथम कालेज के प्रधानाचार्य डॉ वेदप्रकाश द्विवेदी ने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया।तत्पश्चात विद्यालय के सभी शिक्षक/शिक्षिकाओं व कर्मचारियों ने बच्चों सहित बाबा साहब के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी। इस दौरान विद्यालय के सभी छात्र/छात्राओं ने उनके बताये मार्ग एवं आदर्शों पर चलने का संकल्प लिया। प्रधानाचार्य डॉ द्विवेदी जी ने संविधान निर्माता बाबा साहब के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि देश की उन्नति के लिए हम सभी को उनके आदर्शों पर चलने तथा उनके विचार और उनका व्यक्तित्व हम सबके लिए एक प्रेरणास्रोत है।उन्होंने भारत की आजादी की लड़ाई में एक अहम भूमिका निभाने के साथ ही सम्पूर्ण राष्ट्र के लिए संविधान निर्माण की जिम्मेदारी भी उठाई। संविधान निर्माण के साथ ही देश से जाति प्रथा और समाज में कुव्यवस्था को खत्म करने में भी अहम भूमिका निभाई थी। इतिहास प्रवक्ता विनोद प्रताप वर्मा ने बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर की जयंती पर उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि किसी भी देश की उन्नति में महिलाओं का विशेष योगदान रहा है जिस देश में शिक्षित महिलाएं होंगी वह देश सदैव विकास की ओर बढ़ेगा। संविधान निर्माता अंबेडकर ने भारत की साम्यवादी गतिशीलता को सामाजिक रूढ़ियों में बदलाव की शक्ति का रूप दिया और क्रांति की एक नई लहर निर्मित की। साथ ही उन्होंने बाबा साहब के कामों को बताया तथा कामों को आगे बढ़ाते हुए समाज में व्याप्त कुरीतियों/बुराइयों को समाप्त करने की अपील की। बाबा साहब की जयंती के अवसर पर अंग्रेजी शिक्षक अरुण कुमार वर्मा ने बताया की विश्व की महान विभूतियों में शामिल युग प्रवर्तक डॉ बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने विश्व के बदलते वातावरण में एक नई आर्थिक नीति के माध्यम से सामाजिक व आर्थिक क्रांति को विश्व पटल पर रखा उन्होंने अपने चिंतन में मानवता वादी आस्थाओं को सहजता के साथ समेटे हुये है। आज पूरे मानव समाज को उनके विचारों पर सतत विश्लेषण और क्रियान्वयन करने की जरूरत है। भारत के जिससंविधान का प्रारूप उन्होंने बनाया वह पूरे विश्व में अन्य देशों से बड़ा होने के साथ-साथ सर्वश्रेष्ठ भी है। बाबा साहब की जयंती के मौके पर सभी शिक्षक/कर्मचारी एवं छात्र/छात्रायें मौजूद रहे।