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*विनोबा विचार प्रवाह बाबा विनोबा का हरिजन उपासना से रिश्ता 105 वर्ष पुराना
ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय
नई दिल्ली। विनोबा विचार प्रवाह के सूत्रधार रमेश भइया ने बताया कि बाबा विनोबा ने एक बार अपने साथियों से चर्चा करते हुए बताया कि हरिजन सेवा कार्य से उनका बहुत पुराना संबंध रहा है। इस पुनीत कार्य का श्रीगणेश साबरमती आश्रम अहमदाबाद में सन 1918 में हुआ। आरंभ के दिनों में वहां भी सफाई के लिए कुछ पारिश्रमिक देकर सफाई कर्ता अर्थात भंगी रक्खे जाते थे। जब मुख्य व्यक्ति बीमार हो जाता था ,तब एवज में उसका लड़का काम करने आता था। एक बार ऐसा ही हुआ ।बेचारा सफाई करने वाला का एक छोटा सा बच्चा मल मूत्र से भरी बाल्टी लेकर खेतों के गड्ढे में डालने के लिए जा रहा था। उससे वह बाल्टी ढोई नहीं जा रही थी। वह परेशान था , वह रो भी रहा था।बाबा विनोबा के छोटे भाई बालकोबा जो साबरमती आश्रम में ही थे । बालकोवा जी को उस बच्चे पर दया आई और वह उसी समय लड़के की मदद में वहीं जा पहुंचे। बाद में बलकोबा जी ने अपने बड़े भाई बाबा विनोबा से पूंछा कि मैं भंगी कार्य करना चाहता हूं,क्या इसमें बाबा आपकी सहमति है।? बाबा विनोबा ने कहा कि बहुत अच्छा, तुम यह काम करो और मैं भी तुम्हारे साथ मदद के लिए आऊंगा। दूसरे दिन से बाबा विनोबा भी उस काम के लिए जाने लगे। फिर आश्रम से कई लोग इस काम के लिए स्वतः आगे आए। साबरमती आश्रम अहमदाबाद में ब्राम्हण लड़कों द्वारा भंगीकाम करना एक दम नई बात थी। मां कस्तूरबा को तो यह बात बिल्कुल पसंद नहीं आई। बा ने बापू के पास शिकायत की।बापू ने भी बा को समझाया कि ब्राम्हण होकर भंगीकाम करे,इससे बढ़कर दूसरी और कौन सी अच्छी बात हो सकती है? इस तरह इस पुनीत काम की शुरुआत करने में बालकोबा की तपस्या मुख्य रही है।सुरेंद्र जी उनके सहयोगी रहे हैं। बाबा विनोबा ने कहा कि कोई व्यक्ति यह बात कह सकता है कि यह शख्स हरिजनों को भूल गया,तो मैं कहूंगा कि फिर हरिजनों की याद रखनेवाला शायद ही दूसरा कोई होगा। सर्वोदय में अंत्योदय होता ही है। लेकिन बाबा को वह पसंद नहीं था। कि हरिजनों की अलग से सेवा की जाए,क्योंकि अगर केवल इन्हीं लोगों की सेवा करेंगें,तो गांव में पहुंचते ही लोग कहना शुरू कर देंगें कि यह देखो आया फलां वाला, यह आया रे हरिजन वाला,यह आया रे खादी वाला,।ऐसे बंटे हुए,कटे हुए सेवकों से हमारा हिन्दुस्तान का काम नहीं चलने वाला है। क्योंकि बाबा विनोबा तो भी वाला अपने को मानते थे बाबा विनोबा ने अंत में कहा कि मैं ऐसा मानता हूं कि हरिजनों से एकरूप होने के लिए खास तौर से अनेक वर्षों से विनोबा ने तीन काम किए (1)भंगी काम (2) चमड़े का काम (3) बुनाई का काम। यह तीनो काम बाबा विनोबा ने बहुत ही श्रद्धा के साथ जीवन भर किए। उसी पुण्यकारी सेवा को भक्ति के रूप में चलाने वाला हरिजन सेवक संघ परिवार सम्पूर्ण देश में फैला हुआ है। जो छुआछूत निवारण उनके बच्चो की स्कूली शिक्षा ,छात्रावास प्रशिक्षण और सेवा आदि दिलाने में मदद करता है। समाज में कहीं अत्याचार की कोई घटना होती है तो वहां भी गांधी जी की भावना से निर्मित यह पुनीत संगठन अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है। गांधी विनोबा विचार की संवाहक निर्मला देश पांडे भी पच्चीस वर्ष इसकी अध्यक्ष रही हैं वर्तमान में आदरणीय दादा डा शंकर कुमार सान्याल हरिजन सेवक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। जो मूलतः पश्चिम बंगाल के हैं लेकिन हरिजन सेवक संघ के कार्य हेतु अधिक से अधिक समय अपना दिल्ली में ही देते हैं। सहयोग के लिए उपाध्यक्ष श्री लक्ष्मी दास जो खादी ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष रह चुके हैं दूसरे उपाध्यक्ष श्री नरेश यादव जो राज्यसभा के माननीय सांसद रहे हैं। सचिव पद का दायित्व सर्वोदय की प्रख्यात उर्मिला बहन और संजय राय जी हैं।हरिजन सेवक संघ का 91वा स्थापना दिवस दिनांक 24 से 26 सितंबर को मुख्यालय में मनाया जा रहा है। इस पुण्य भूमि पर विनोबा विचार से अनुप्राणित नंदिनी लोकमित्र शिविर भी रक्खा गया है। जिसमें देश भर की 30 बहनें भाग लेने वाली हैं। इस पुण्य भूमि को प्रणाम जहां गांधी जी कस्तूरबा मां विनोबा जी और उस समय आजादी के आंदोलन से जुड़े काफी लोगों के चरण यहां पड़े हैं। कण कण पवित्र है इस परिसर का। परिसर में गांधी जी कस्तूरबा मां ठक्कर बापा और विनोबा जी की प्रतिमा है। मां कस्तूरबा को समर्पित कुटीर है जिसमें उनके जीवन से संबंधित प्रदर्शनी है। जिसका उद्घाटन देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने किया था । महादेव भाई देसाई को समर्पित उच्च कोटि की लाइब्रेरी जिसका उद्घाटन देश के पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने किया था। यहां पर हरि कुटीर है जो संघ के अध्यक्ष रहे पंडित वियोगी हरि को समर्पित है जिसमें गांधी विनोबा विचार के वाहक कथावाचक श्रद्धेय मोरारी बापू दस दिन रामकथा के दौरान रह चुके हैं। वैसे भी परिसर में माननीय पूर्व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू , वर्तमान उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ जी भी आ चुके हैं। उत्तर प्रदेश की महामहिम राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल , हरियाणा के राज्यपाल बंगारू दत्तात्रेय आ चुके है।इस बार केरल के माननीय राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान जी सद्भावना सम्मेलन में आशीर्वाद देने आने वाले हैं। परम पूज्य परम पावन दलाईलामा , योग गुरु रामदेव जी स्वामी चिदानंद महाराज , आचार्य लोकेश मुनि महाराज आदि सभी आए हैं।