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डॉक्टर एम एच सिद्दीकी ने बताया कि नेचुरल तरीके से डेंगू फीवर में कैसे करें अपने शरीर का बचाव और उपाय
ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय
लखनऊ। डेंगू बुखार को कई नामों से जाना जाता है। ब्रेकबोन फीवर लंगड़ा बुखार दंडक बुखार इसलिए लोग मुख्य रूप से इसे हड्डी तोड़ बुखार भी कहते हैं इसमें बुखार 3 से 6 दिनों तक रहता है।
जब मच्छर संक्रमित व्यक्ति का रक्त चूसकर दूसरे व्यक्ति को काटता है तो दूसरा स्वस्थ इंसान जिस संक्रमित होकर रोगी बन जाता है डेंगू ज्वर एक विषाणु जनित रोग है जिसका कारण फ्लेवी वायरस है डेंगू के विषाणुओं का वाहक एडीज नामक मच्छर है। जो बारिश के मौसम में अधिक पाया जाता है यह जल भराव, टूटी बोतलों, फूलदान ,कलर के पानी, पुराने टायर आदि। स्थानों पर तेजी से पनपते हैं इसके अंडे अलग-अलग व सिगार की आकृति के होते हैं मच्छर गहरे काले रंग के होते हैं और शरीर तथा टांगों पर सफेद धारियां होने के कारण इसे टाइगर मच्छर भी कहा जाता है
लक्षण _शरीर में बहुत तेज दर्द होता है इसके बाद ही अचानक पूरे शरीर में ठंडी लगकर बुखार चढ़ता है बुखार के साथ-साथ कनपटियो की हड्डियों और पूरे शरीर की हड्डियों में तेज दर्द होता है इसलिए इस रोग का नाम हड्डी तोड़ बुखार है इसमें मुख्य रूप से तेज बुखार सिर दर्द हड्डियों में टूटने की भांति दर्द, कमर में दर्द, सर्दी बेचैनी आदि लक्षण होते हैं आंखों में दर्द होता है डॉगी के जांघों में बहुत अधिक दर्द होता है रोगी को रोशनी असहनीय होती है शरीर का तापमान 102 से 107 डिग्री तक हो जाता है बुखार तीसरे दिन उतर जाता है और 2 दिन तक उतरा रहता है इसके बाद फिर से चढ़ जाता है और दो दिनों तक बढ़ा हुआ रहता है इस रोग में प्लेटलेट्स कम हो जाता है जिसके कारण रोगी के नाक से रक्त का स्राव होने लगता है।
उपाय_सर्पगंधा का चूर्ण, कालीमिर्च, डीकामाली, घोड़बच, चिरायता आदि का योग देकर तैयार किए गए मिश्रित एक से दो ग्राम प्रतिदिन सुबह शाम लेने से लाभ होता है।
ईश्वरमूल का चूर्ण आधा से डेढ़ ग्राम शहद के साथ सुबह शाम लेने से लाभ मिलता है।
40ml पपीते की पट्टी का रस सुबह शाम लेने से अधिक आराम मिलता है ।
इस रोग में रोगी को विटामिन सी की प्रचुर मात्रा दी जाए। जैसे कीवी,संतरा, मौसमी , आंवला,सेब, पपीता , आदि ।
शरीर में पानी की कमी से निपटने के लिए रोगी को तरल पदार्थ जैसे फलों का रस ,कच्चे नारियल का पानी ,नींबू शिकंजी ,दही की लस्सी ,दूध आदि का सेवन कराएं।