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कार्तिक माह संक्रान्ति पर्व मनाया गया
ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय
लखनऊ। कार्तिक माह संक्रान्ति पर्व पर ऐतिहासिक गुरूद्वारा नाका हिण्डोला,लखनऊ में रहिरास साहिब जी के पाठ के
उपरान्त हजूरी रागी जत्था भाई राजिन्दर सिंह जी ने अपनी मधुर वाणी में
कतिकि करम कमावणे दोसु न काहू जोग।।
परमेसर ते भुलियाँ विआपनि सभे रोग।।
शबद कीर्तन गायन एवं साध संगत को नाम सिमरन करवाया। मुख्य ग्रन्थी ज्ञानी सुखदेव सिंह जी ने कार्तिक माह पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस माह में प्रभु मिलाप के लिए मन में चाव एवं भाव उठते हैं। गुरु जी फरमाते हैं कि जो मनुष्य कर्म करते हैं,उसके फल प्राप्ति के लिये किसी और को दोष देना ठीक नही है क्योंकि परमेश्वर को भुला देने पर मनुष्य हर प्रकार के रोग कष्टों से घिर जाता है। इसलिये हे जीव! तुम हर रोज किसी के पास जाकर क्यों रोते-कुरलाते हो जो अच्छे-बुरे कर्मो का फल लिखा गया है वह भोगना ही पड़ता है,उसमें अपने करने से
कुछ नही हो सकता ‘‘गुरु जी प्रार्थना करते हैं कि हे मेरे बन्दी छोड़ दाता मुझे कष्टों और रोगों से दूर रखो‘‘। अगर भाग्य से किसी मनुष्य को किसी साध पुरुष (गुरु) का संग प्राप्त हो जाये तो उसके सारे फिक्र, चिंता और दुःखों का नाश हो
जाता है। सिमरन साधना परिवार के बच्चों ने भी इस अवसर पर शब्द कीर्तन “ऐसे गुर कउ बलि बलि जाइए आप मुक्त मोहे तारै।।” गायन कर समूह साध संगत को मंत्र मुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का संचालन सतपाल सिंह मीत ने किया ।
दीवान की समाप्ति के उपरान्त लखनऊ गुरूद्वारा प्रबन्धक कमेटी के अध्यक्ष स0 राजेन्द्र सिंह बग्गा जी ने समूह संगत को कार्तिक माह संक्रान्ति पर्व की बधाई दी। उसके उपरान्त दशमेश सेवा सोसाइटी के सदस्यों द्वारा के सदस्यों द्वारा श्रद्धालुओं में गुरू का लंगर वितरित किया गया।