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*प्रोमोटर्स एक परियोजना के लिए पंजीयन से लेकर उसके पूर्ण होने तक की सभी जिम्मेदारी का निर्वहन करें- उ.प्र. रेरा चेयरमैन*
ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय
लखनऊ। उ.प्र. रेरा मुख्यालय पर रेरा चेयरमैन श्री संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में प्रोमोटर्स के लिए एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। इसमें प्रोमोटर्स को एक परियोजना के जीवन चक्र में पंजीयन से लेकर निर्माणाधीन रहने और उसके पूर्ण होने के उपरान्त विधिवत पूर्णता तक की सम्पूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वाहन करने के विषय में अवगत कराया गया। इस प्रक्रिया से रियल एस्टेट क्षेत्र के सबसे बड़े हितधारकों, उपभोक्ताओं, को रेरा पोर्टल के माध्यम से परियोजना से जुडी सटीक और सामयिक जानकारी मिलती रहेगी जो पूर्णतः विश्वसनीय होगी। उन्हें किसी अन्य स्त्रोत पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा और प्रोमोटर्स को कार्य करने में सुविधा होगी। सेमीनार में उ.प्र. रेरा के अध्यक्ष, सचिव, प्रमुख सलाहकार, वित्तीय नियंत्रक सहित लगभग 40 से ज्यादा प्रोमोटर्स ने हिस्सा लिया।*
*उ.प्र. रेरा के तकनिकी सदस्यों की प्रस्तुति में चरणबद्ध रूप से एक परियोजना के सम्पूर्ण जीवन चक्र को दिखाया और समझाया गया। इसमें एक परियोजना के पंजीयन के समय सभी तीन बैंक खातों- कलेक्शन, सेपरेट और ट्रांसैक्शन एकाउंट की जानकारी सहित स्थायी निर्देश, पंजीकृत एग्रीमेन्ट एक से ज्यादा प्रोमोटर के संदर्भ में, भूखंड की खतौनी या मालिकाना हक के आलेख तथा विकास प्राधिकरणों से स्वीकृत नक्शों की साफ़ व स्पष्ट कॉपी लगाने और इसी के अनुरूप पोर्टल पर दिखने वाली जानकारी भरने, निर्माणाधीन परियोजना में प्रति तिमाही उसकी प्रगति रिपोर्ट, आदि की जानकारी देने का महत्व बताया गया। परियोजना पंजीयन की आवेदन निरस्त किए जाने के मुख्य कारणों के विषय में भी बताया गया।*
*इसी क्रम में परियोजना के सम्बन्ध में प्राप्त होने वाली शिकायतों का निष्पादन और आदेशों का कार्यान्वयन, पंजीयन विस्तार हेतु आवश्यक आलेख, कारण तथा निर्माण पूर्ण करने की योजना, परियोजना पूर्ण होने पर सभी एनओसी सहित ओसी या सीसी की जानकारी सार्वजनिक रूप से पोर्टल पर उपलब्ध होना, रेरा पोर्टल की नियमित समीक्षा के लिए जानकार अधिकारी की नियुक्ति सहित परियोजना का पूर्ण एकॉउन्ट क्लोजर की जिम्मेदारी आदि की आवश्यकता को समझाया गया। इसके अतिरिक्त नियामक प्राधिकरण द्वारा किए जा रहे कुछ नवीन पहल की सूचना भी दी गई जिसमें एजेन्ट की ट्रैनिंग व प्रमाण पत्र, विज्ञापन के मापदंड, रेरा से सम्पर्क करने के लिए बोर्ड से चयनित डायरेक्टर द्वारा पत्राचार तथा सदैव क्रियाशील सम्पर्क नंबर और उस पर जवाब देने के लिए जानकार व्यक्ति रखने का महत्व सहित अन्य जानकारी दी गई। ये सूचनाएं सीधा उपभोक्ताओं के निर्णयों से जुडी है और इनकी नियमित और नवीनतम उपलब्धता अति-आवश्यक है।*
*सेमीनार में पोर्टल पर प्रोमोटर्स को आने वाली समस्याओं के समाधान के लिए उसके प्रत्येक हिस्से को भरने की आवश्यकता और उपयोगिता का उल्लेख किया गया। पोर्टल पर जानकारी न उपलब्ध होने से होने वाली असुविधा के विषय में भी बताया गया। घर खरीदारों के संघ को उनके अधिकार और दायित्व से भी अवगत कराया गया। इस दौरान प्रोमोटर्स के संघ- क्रेडाई और नारेडकों सहित पंजीकृत प्रोमोटर्स तथा घर खरीदारों के संघ से प्रश्नोत्तर का दौर भी चला।*
*रेरा अध्यक्ष के अनुसार, “नवीन परियोजनाओं के पंजीयन के समय हम रेरा अधिनियम का उद्देश्य के अनुकूल जाकारियाँ उपलब्ध कराने के प्रति प्रतिबद्ध है। रियल एस्टेट परियोजना के नक्शे को राजस्व विभाग के नक्शे से सुपर इम्पोज़ करके परियोजना के नक्शों से छेड़-छाड़ पर रोक लगाई जाएगी। पूर्व में पंजीकृत परियोजनाओं में आने वाली समस्याओं के लिए प्रोमोटर्स को अपनी दी गयी जानकारियों की समीक्षा करनी होगी और उन्हें ठीक करते ही पोर्टल पर कार्य करने में सुविधा मिलने लगेगी। इससे उपभोक्ताओं को परियोजना सम्बन्धी जानकारियों में विश्वसनीयता रहेगी, जिम्मेदारी पूर्वक नवीन सुचना प्राप्त होती रहेगी और जवाबदेही बनी रहेगी।”*
*प्रोमोटर संघ के पदाधिकारियों के अनुसार, “रेरा आने के बाद रियल एस्टेट में अच्छा काम करने वालों को पूर्ण सहयोग मिला है। पूर्णता प्रमाण पत्र की प्राप्ति न होने से प्रॉजेक्ट एकॉउन्ट क्लोजर नहीं हो पा रहा है और यह हमे मदद की आवश्यकता है। कन्सिलीऐशन फोरम से विवादों का समाधान जल्द किया जा सकता है और इस पर ध्यान देना चाहिए। शिकायतों के पंजीयन में अधिनियम के अनुरूप ही मौका दिया जाना चाहिए। विकास प्राधिकरण को भी रेरा अधिनियम के दायरे में लाया जाना चाहिए जहाँ से स्वीकृती प्राप्त होती है जो परियोजना के समय काल को प्रभावित करता है।”*