बच्चों के लिए सुरक्षित व सुखमय विश्व व्यवस्था बनाना ही हमारा मकसद, की घोषणा

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बच्चों के लिए सुरक्षित व सुखमय विश्व व्यवस्था बनाना ही हमारा मकसद, की घोषणा

ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय

लखनऊ। सिटी मोन्टेसरी स्कूल के तत्वावधान में आयोजित ‘विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 61 देशों से पधारे मुख्य न्यायाधीशों व न्यायाधीशों 24वें अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में पधारे मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाधीशों व प्रख्यात हस्तियों ने एक स्वर से घोषणा की है कि बच्चों के लिए सुरक्षित व सुखमय विश्व व्यवस्था बनाना ही हमारा मकसद है और इसी उद्देश्य हेतु हम यहाँ एकत्रित हुए हैं। उन्होंने आगे कहा कि सभी के सहयोग व प्रयास से एकता, शान्ति व सौहार्द का वातावरण बनेगा। समारोह की अध्यक्षता करते हुए हैती के पूर्व प्रधानमंत्री जीन- हेनरी सेन्ट ने कहा कि मैं डॉ. जगदीश गाँधी के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ जिन्होने आज की जरूरत को पहचाना और विश्व के बच्चों के सुरक्षित व सुखमय भविष्य के लिए विगत कई वर्षों से इस सम्मेलन को आयोजित कर रहे हैं। न्यायविदों व कानूनविदों की आवाज वैश्विक शान्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी। सी.एम.एस. के इस ऐतिहासिक सम्मेलन में 61 देशों के 250 से अधिक मुख्य न्यायाधीश, न्यायाधीश समेत विभिन्न देशों के राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री व अन्य प्रख्यात हस्तियाँ अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। विचार रखते हुए
सम्मेलन के चौथे दिन आज प्रातःकालीन सत्र के प्लेनरी सेशन में अपने इथियोपिया कॉन्स्टीट्यूशनल काउन्सिल के प्रेसीडेन्ट स्नायमूर्ति लेनी टिवोड्रोस मेहेरेट केबेडे ने कहा कि इथोपिया ने 20 वर्षों के संघर्ष में जान व माल के नुकसान व युद्ध की भीषणता को देखा है और इसलिए बच्चों के भविष्य की सुरक्षा की अनिवार्यता से हम भरपूर वाकिफ हैं। उन्होंने विश्व सरकार व वैश्विक कानून की सी.एम.एस., छात्रों की मांग का पुरजोर समर्थन किया। अल्बानिया के हाई ज्यूडिशियल काउन्सिल की अध्यक्ष न्यायमूर्ति नौरेदा एल लागामी ने कहा कि विश्व संसद सम्भव है लेकिन अन्तर्राष्ट्रीय कानून के नियमों को सामाजिक मानदण्डों के रूप में परिवर्तित किया जाना चाहिए जो सभी राज्यों, व्यक्तियों और कानूनी संगठनों पर लागू हो। मलावी सुप्रीम कोर्ट के जज, न्यायमूर्ति रोलैंड सेक्स्टस एमबीवंडुला ने कहा कि बच्चों को सुरक्षित एवं सुखद वातावरण प्रदान करना हम वयस्क लोगों का कर्तव्य है, ये वो स्वयं से नहीं पा सकते। एकता व शान्ति स्थापना के लिए सबसे जरूरी है कि मानव अधिकारों का पूरा सम्मान हो। जाम्बिया के डेप्युटी चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति माइकल मुसोंडा ने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था लागू करना समय की मांग है क्योंकि इसी व्यवस्था के जरिए विश्वव्यापी समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है। पेरू के सुपीरियर कोर्ट की प्रेसीडेन्ट न्यायमूर्ति मारिया डेलफिना विडाल ला रोजा सांचेज ने कहा कि ग्लोबल गर्वनेंन्स का समय आ चुका है। हमें सोचना है कि राजनैतिक परिवेश को विश्व शांति की स्थापना के लिए इस्तेमाल किया जाए ताकि बच्चों व
आने वाली पीढ़ियों के भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
आज एक प्रेस कान्फ्रेन्स में मुख्य न्यायाधीशों के विचारों का निचोड़ पत्रकारों के समक्ष प्रस्तुत करते हुए सम्मेलन के संयोजक डा. जगदीश गाँधी, प्रख्यात शिक्षाविद् व संस्थापक, सी.एम.एस. ने बताया कि लगभग सभी मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाशीशों व कानूनविदों की आम राय रही कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51 (सी) विश्व की समस्याओं का एक मात्र समाधान है। सभी मुख्य न्यायाधीशों ने इस बात को माना कि मानवता की आवाज को बुलन्द करने की जरूरत है।
सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी हरि ओम शर्मा ने बताया कि इस ऐतिहासिक सम्मेलन का समापन सत्र आज सायं 6.30 बजे सी.एम.एस. गोमती नगर (द्वितीय कैम्पस) ऑडिटोरियम में सम्पन्न होगा। इस अवसर पर 61 देशों से पधारे न्यायविदों, कानूनविदों व अन्य प्रख्यात हस्तियों के सम्मान में रंगारंग साँस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया है। प्रदेश के वित्तमंत्री सुरेश खन्ना इस अवसर पर मुख्य अतिथि होंगे।

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