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रेलिया बैरन पिया को लिए जाए रे….
ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय
लखनऊ। श्री जय नारायण मिश्र महाविद्यालय में आज अंतर महाविद्यालय सांस्कृतिक प्रतियोगिता दिव्यांकुर 2023 का शुभारंभ मुख्य अतिथि, पद्मश्री, मालिनी अवस्थी, अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लोक गायिका के कर कमलों द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा समक्ष दीप प्रज्वलित कर संपन्न हुआ।
इस अवसर पर बोलते हुए उन्होंने छात्र-छात्राओं से कहा कि, केकेसी के प्रांगण में आकर उन्हें अपने परिवार में आने जैसा लग रहा है। उन्होंने कहा कि यह संस्थान उत्तर प्रदेश की धरोहरो में से एक है। उन्होंने कॉलेज से अपने पारिवारिक संबंध बताते हुए विशेष आदर व्यक्त किया। संस्कृति के रंग माटी के सन्ग, थीम पर आधारित दिव्यांकुर को लेकर उन्होंने विशेष प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि संस्कृति कई पीढ़ियों से प्रवाहित होकर आगे बढ़ती है।गीतों, रीति रिवाजों, अभिव्यक्तियों, प्रतीको, चिन्हो और त्यौहारों से परिलक्षित होती हुई यह पल्लवी होती है। उन्होंने लोक गीतों को संस्कृति का सबसे बड़ा संवाहक बताते हुए कहा कि, घर की स्त्रियों ने लोकगीतो के माध्यम से संस्कृति का सबसे ज्यादा संरक्षण किया है। उन्होंने कहा कि हम, हमारी मां, दादी और नानी के मुंह से अनेकों लोकगीत को सुनते और
लोकाचारों को देखते हुए बड़े होते हैं।
यह कहना गलत नहीं होगा कि, संस्कृति की मुख्यधारा वाली परंपराएं सबसे ज्यादा स्त्रियों के माध्यम से प्रवाहित हुई है। उन्होंने कहा कि, ऋषि मुनि वो होते हैं जो पहाड़ों, पर्वतों पर रहकर तपस्या करते हैं तो दूसरी तरफ स्त्रियां किसी तपस्विनी से कम नहीं जो घर में बैठकर घर को साधती हैं। उन्होंने छात्र – छात्राओं से कहा कि, मेरा जन्म कन्नौज में तथा विवाह कानपुर में हुआ किंतु पिताजी के जॉब में स्थानांतरण के कारण भोजपुरी लोकगीतो को सुनने, सीखने और समझने का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि अगर वो गायिका नहीं होती तो निसंदेह लेखिका होती। उन्होंने संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि, नई शिक्षा नीति, लोक संस्कृति को प्रवाहित करने में अच्छा कार्य कर रही है। उन्होंने अपने लोकप्रिय लोकगीत
रेलिया बैरन पिया को लिए जाए रे…. छात्र-छात्राओं को मनमोहक अंदाज में गा कर सुनाया और एक एक अन्तरे की व्याख्या भी छात्र-छात्राओं को सुनाई। उनकी हर व्याख्या पर छात्र छात्राओं ने जमकर के तालियां बजाई।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कर रहे वी.एन. मिश्र,अध्यक्ष, महाविद्यालय प्रबंध समिति ने कहा कि भविष्य में लोकगीतों तथा लोकाचारों पर महाविद्यालय में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित कर पद्मश्री मालिनी अवस्थी की उपस्थिति में छात्र-छात्राओं की संस्कृति की समझ बढ़ाने वाला एक बड़ा कार्यक्रम किया जाएगा। उन्होंने सभी प्रतिभागियों को अपनी शुभकामनाएं दी।
कार्यक्रम के आरंभ में छात्र शुभम ने चदरिया झीनी रे झीनी……भजन गाकर सभी का मन मोह लिया। इसके बाद रेवांशु और उनकी टीम ने
बहे खून मेरा चमन के लिए…मेरी जान जाए वतन के लिए….कव्वाली सुना कर छात्रो की तालियां बटोरी।
महाविद्यालय प्राचार्य प्रो विनोद चंदा ने सभी अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ एवं स्मृति चिन्ह देकर किया। उन्होंने अनेक महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों से आए हुए प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए उन्हें शुभकामनाएं दी।
इस अवसर पर प्रो पायल गुप्ता, संयोजक, संस्कृतिक समिति, ने 2 दिनों तक चलने वाले युवा सांस्कृतिक महोत्सव दिव्यांकुर 2023 की रूपरेखा से सभी को अवगत कराते हुए सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया।
उन्होंने बताया कि, दिव्यांकुर 2023 में आज 25 से अधिक महाविद्यालय के लगभग 300 छात्र छात्राओं ने ” संस्कृति के रंग माटी के संग” थीम पर आधारित प्रतियोगिताओं, के प्रथम दिन, एकल गायन, सुगम संगीत, एकल नृत्य, शास्त्रीय गायन, स्वरचित काव्य, सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी, नुक्कड़ नाटक, कहानी लेखन एवम डिबेट सहित विविध सांस्कृतिक गतिविधियो मे प्रतिभाग किया।
नुक्कड़ नाटक प्रतियोगिता में छात्र-छात्राओं में भारत की सांस्कृतिक विरासत को रेखांकित करते हुए इस पर फिदा हो जाने के अनेक कारण बताएं।
उद्घाटन समारोह का संचालन प्रोफेसर रश्मि सोनी ने किया।
डॉ अनामिका सक्सेना ने उद्घाटन सत्र के समापन पर सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर विभिन्न महाविद्यालयो के प्रतिभागी, अनेक शिक्षक एवम छात्र छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।