स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर अभिनन्दन पर्व एवं कहानी, कविता, निबन्ध प्रतियोगिता पुरस्कार वितरण समारोह आयोजित

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स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर अभिनन्दन पर्व एवं कहानी, कविता, निबन्ध प्रतियोगिता पुरस्कार वितरण समारोह आयोजित

ब्यूरो चीफ आर एल पाण्डेय

लखनऊ। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर अभिनन्दन पर्व एवं कहानी, कविता, निबन्ध प्रतियोगिता पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन हिन्दी भवन के निराला सभागार में किया गया। सम्माननीय अतिथि के रूप में पद्मश्री डॉ० विद्याविन्दु सिंह, लखनऊ, प्रो० सूर्यप्रसाद दीक्षित, लखनऊ उपस्थित थे।

स्थापना दिवस के अवसर पर छः बाल साहित्यकारों को उत्तरीय, प्रशस्तिपत्र एवं इक्यावन हजार रुपये की धनराशि से अभिनन्दित किया गया। श्रद्धा पाण्डेय, गाजियाबाद को सुभद्रा कुमारी चौहान महिला बाल साहित्य सम्मान, पवन कुमार वर्मा, वाराणसी को अमृत लाल नागर बाल कथा सम्मान, लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, बस्ती को लल्ली प्रसाद पाण्डेय बाल साहित्य पत्रकारिता सम्मान, अशोक अंजुम, अलीगढ़ को डॉ. रामकुमार वर्मा बाल नाटक सम्मान, डॉ० मनीष मोहन गोरे, गाजियाबाद को जगपति चतुर्वेदी बाल विज्ञान लेखन सम्मान, शताब्दी गरिमा, लखनऊ को उमाकान्त मालवीय युवा बाल साहित्य सम्मान से सम्मानित किया गया।
साथ ही संस्थान द्वारा अयोजित कहानी, कविता, निबन्ध प्रतियोगिता वर्ष 2023 पुरस्कार वितरित किये गये। कहानी प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार विश्रुत तिवारी, जौनपुर, द्वितीय पुरस्कार आकांक्षा गुप्ता, चन्दौली, तृतीय पुरस्कार खुशी सखूजा, लखनऊ, सांत्वना पुरस्कार करिश्मा, हमीरपुर, आशांशु त्रिपाठी, प्रतापगढ़, कविता सरोज, वाराणसी को प्रदान किये गये। कविता प्रतियोगिता प्रथम पुरस्कार शक्ति प्रकाश त्रिपाठी, भदोही, व अचल तिवारी, हरदोई, द्वितीय पुरस्कार इरम, बुलंदशहर, तृतीय पुरस्कार शालिनी तिवारी, कानपुर, उदय प्रताप कुमार (उदय प्रताप पटेल), कुशीनगर, यशस्वनी शुक्ला, गोरखपुर, रोशनी रावत, लखनऊ, और सांत्वना पुरस्कार शिवांगी उपाध्याय, वाराणसी एवं अभिषेक कुमार सिंह, प्रयागराज को प्रदान किये गये। निबन्ध प्रतियोगिता प्रथम पुरस्कार अंशिका, लखनऊ, द्वितीय पुरस्कार विनय अवस्थी, कानपुर नगर, तृतीय पुरस्कार आकाश वर्मा, लखीमपुर खीरी एवं सांत्वना पुरस्कार अमृता सैनी, लखनऊ, एवं शेफाली, वाराणसी को प्रदान किये गये। कहानी, कविता, निबन्ध प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार रु0 7,000/- द्वितीय पुरस्कार रु0 5,000/- तृतीय पुरस्कार रु० 4,000/- सांत्वना पुरस्कार रु० 2,000/- की धनराशि से पुरस्कृत किया गया।इस अवसर पर पद्मश्री डॉ० विद्याविन्दु सिंह ने कहा आज बच्चों पर पढ़ाई का काफी दवाब बढ़ा है। नई शिक्षानीति में बच्चों के बस्ते का बोझ कम करने का विचार किया गया है। बच्चों का व्यक्तित्व का विकास अभिभावकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ‘सिंहासन बत्तीसी’ ‘पंचतंत्र’ की कहानियाँ बच्चों में काफी लोकप्रिय हैं। विद्यालयों के बच्चों को भी कहानियाँ लिखने का अवसर मिलना चाहिए। उन्हें प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है साथ ही प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। बच्चों को लोक परम्पराओं के माध्यम से संस्कारित करने की आवश्यकता है।

प्रो० सूर्यप्रसाद दीक्षित ने कहा- किसी रचनाकार को पुरस्कार उर्जा एवं प्रेरणा
प्रदान करता है। प्रतिभा का उजागर अच्छे परिवेश से होता है। बड़े उम्र के लोग बालमनोविज्ञान को दृष्टि में रखकर रचना करें तभी बाल पाठकों के मन पर अमिट छाप छोड़सकता है। बाल रचनाकार को शब्दों का चयन सावधानी पूर्वक करना चाहिए। बाल रचनाकारों में निरंकार सेवक, हरिकृष्ण देवसरे, का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। पत्रिकाओं में बाल-विनोद, गुड़िया, चन्दा मामा आदि चर्चित रही हैं। बाल साहित्य के माध्यम से विज्ञान साहित्य को लिखा जा रहा है। आज तकनीकी युग में बच्चे प्रबुद्ध होते जा रहे हैं। वर्तमान में पठकीयता की समस्या है। बाल साहित्य पर आधारित कार्यशालाएं करवाने की आवश्यकता है। पठन-पाठन कार्य हमारी दिनचर्या में सम्मिलित होना चाहिए।

प्रधान सम्पादक, डॉ० अमिता दुबे, उ०प्र० हिन्दी संस्थान ने कहा- उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा आयोजित बाल साहित्य संवर्द्धन योजना के अन्तर्गत अभिनन्दन पर्व पुरस्कार वितरण समारोह एवं कहानी /कविता / निबन्ध प्रतियोगिता में पुरस्कृत प्रतियोगियों को व विभिन्न विधाओं के बाल साहित्यकारों का स्वागत एवं अभिनन्दन करते हुए हम गौरवान्वित हैं। बाल साहित्य के सृजन में जितनी महत्वपूर्ण भूमिका रचनाकारों की है, उससे अधिक दायित्व बाल पत्रिकाओं के सम्पादक का भी है। संस्थान द्वारा प्रकाशित बालवाणी द्वैमासिक पत्रिका के माध्यम से हम बाल पाठकों के बीच जाते हैं और उसे सभी का स्नेह और सहयोग मिलता है। मीडिया कर्मियों, पत्रकार बन्धुओं के प्रति भी हम आदर भाव व्यक्त करते हैं। सरोज खुलबे द्वारा वाणी वन्दना प्रस्तुत की गयी।

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